पीएम मोदी ने शी जिनपिंग को नहीं बोला ये, देखा जा रहा…

दोनों सेनाओं के जवानों के बीच नाथू ला में 1967 के संघर्ष के बाद यह सबसे बड़ा टकराव है। उस दौरान भारत ने लगभग 80 सैनिकों को खो दिया था, जबकि टकराव में चीनी सेना के 300 से अधिक जवान मारे गए थे।

इस बार गलवां घाटी में 15 जून की रात दोनों देशों की सेनाएं टकराई थी। इसी दिन चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जन्मदिन था। लेकिन पिछले चार सालों से हर बार जिनपिंग को बधाई देने वाले पीएम मोदी ने इस बार उन्हें बधाई संदेश नहीं भेजा।

मोदी ने साल 2017 में भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक चले दोकलाम विवाद के बाद भी शी को जन्मदिन का बधाई संदेश भेजा था। गौरतलब हो कि दोकलाम में चीन द्वारा सड़क बनाने को लेकर दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था।

वहीं, पिछले साल पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को बिश्केक में व्यक्तिगत मुलाकत कर जन्मदिन की बधाई दी थी। पीएम मोदी किर्गिस्तान में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में शामिल होने गए।

यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि साल 2016 में जब प्रधानमंत्री मोदी ने चीनी राष्ट्रपति को जन्मदिन की बधाई दी। उस दौरान भी दोनों देशों के बीच रिश्तों में कड़वाहट थी, क्योंकि चीन ने परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह (एनएसजी) में भारत के शामिल होने का विरोध किया था।

पूर्वी लद्दाख की गलवां घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में सेना के 20 जवान शहीद हो गए। वहीं, सूत्रों ने बताया कि इस झड़प में चीन के भी 43 जवान हताहत हुए। इनमें मृतकों और घायलों की संख्या शामिल है।

सीमा पर बढ़े तनाव का असर दोनों देशों के कूटनीतिक रिश्तों पर देखा जा रहा है। इसका एक उदाहरण यह है कि इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को जन्मदिन की मुबारकबाद नहीं दी।