ईरान एवं यूएस के बीच तनाव निरंतर बढ़ता जा रहा है। ईरानी कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी एयर स्ट्राइक में मौत के बाद दोनों ही ओर से कार्रवाई को अंजाम दिया जा रहा है।
ऐसे में 3 दशक के बाद एक बार फिर ईरान-इराक सहित पूरे मिडिल ईस्ट में बसे हिंदुस्तानियों पर भी संकट के बादल मंडराते नज़र आ रहे हैं।
आपको यहां पर ये भी बता दें कि 3 दशक पहले जब IRAQ ने कुवैत पर अैटक किया था उस समय वहां पर रहने वाले कुछ हिंदुस्तानियों की सहायता से हिंदुस्तान सरकार ने सबसे बड़ा रेस्क्यू अभियान चलाया था। इस दौरान एयर इंडिया के विमानों ने 58 दिनों तक नॉनस्टॉप 488 उड़ानें भरकर लगभग 1 लाख 70 हजार लोगों को समय रहते रेस्क्यू किया था। ये विश्व का सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन भी था।
इस आशंका की एक वजह ये भी है क्योंकि 1988 में अमेरिका ने इसी तरह से एक विमान को मार गिराया था। इतना ही नहीं इसके लिए अमेरिका ने माफी तक नहीं मांगी थी, जिसके बाद ईरान ने आईसीजे का दरवाजा खटखटाया था। इसमें दस हिंदुस्तानियों सहित कुल 280 यात्री मारे गए थे। अमेरिका-ईरान के बीच फैले तनाव के बीच हिंदुस्तान ने विमानों के लिए एडवाइजरी जारी की है कि वह ईरान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल करने से बचें।