गैस्ट्रो इंटेस्टाइनल से जुड़ी बीमारियों का रामबाण इलाज है सौंफ, जानिये फायदे

सौंफ का प्रयोग जड़ी-बूटियों के रूप में किया जाता रहा है. सौंफ को पाचनशक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. ये गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल से जुड़ी बीमारियों में रामबाण की तरह कार्य करता है.

मांसपेशियों को आराम देने के साथ ही ये गैस, सूजन व पेट में ऐंठन को कम करने में मदद करता है. सौंफ के बीज से बने टिंचर या चाय का पीने से इरिटेटिंग बाउल सिंड्रोम, अल्सरेटिव कोलाइटिस, क्रोहन जैसी बीमारियां तक सरलता से अच्छा हो जाती हैं. इतना ही नहीं इसे खाने से शरीर के विषैलेतत्व भी बाहर निकल जाते हैं व इससे शरीर शुद्ध होता है.

यह अपने मेडिसिनल गुणों के लिए भी जाना जाता है इसके उपयोग सेमानसिक ही नहीं शारीरिक दिक्कतों भी दूर की जा सकतीहै. ये पेट को ठंडक प्रदान करने में भी ये बहुत अच्छा है. खाना खाने के बाद हर दिन यदि 30 ग्राम सौंफ खाया जाए तो इससे कोलेस्ट्राल की समस्या दूर होती हैं. साथ ही साथ येआंखों की लाइट अगर कम हो रही तो आपको रोज कम से कम तीस ग्राम सौंफ जरूर खाना चाहिए. इससे आंखें ही नहीं लिवर से जुड़ी समस्या भी दूर होगी. पेट में दर्द हो या अपच के कारण उल्टी आ रही हो तो सौंफ का काढ़ा पीएं.

कफ को दूर करने के लिए भी सौंफ का काढ़ा पीना चाहिए. अस्थमा व खांसी में सौंफ खाना व उसका काढ़ा पीना बहुत लाभकारी होता है. गुड़ के साथ सौंफ खाने से किसी भी तरह का पेट दर्द समाप्त होने कि सम्भावना है. पीरियड्स में होने वाले दर्द में ये बहुत कार्य आता है. शिशु यदि पेट में गैस हो या दर्द हो तो उसे सौंफ का काढ़ा एक से दो चम्मच दें. छह महीने के बाद ही यह शिशु को देना चाहिए, उससे पहले नहीं. शिशुओं को होने वाली बीमारी कॉलिक में भी सौंफ कर रस देना चाहिए. शिशु को एक या दो चम्मच से ज्यादा यह घोल नहीं देना चाहिए.

प्राचीन काल से इसका उपयोग पाचन को दुरुस्त बनाने में किया जा रहा है यदिपाचन से जुड़ी समस्या हो, कब्ज हो या वेट कम करना हो तो खाने के बाद सौंफ रोज प्रातः काल शाम जरूर खाएं.कोशिश करें कि सौंफ को यूं ही खाएं, इसके साथ चीनी या मिस्री को न मिलाएं. इन चीजों को मिलाने से केवल जायका बनेगा स्वास्थ्य फायदा नहीं होगा.