ओवैसी ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार पर जमकर बोला हमला, कहा मुसलमानों के साथ…

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने रविवार को उद्धव ठाकरे और शरद पवार पर जमकर हमला बोला. ओवैसी ने मुस्लिम युवाओं से आह्वान किया कि वे देश में अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए मजबूत ताकत बनकर उभरें. ठाकरे और  पवार को लेकर ओवैसी ने कहा कि इन नेताओं ने जरूरत के समय मुसलमानों का साथ नहीं दिया. ओवैसी महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मुंब्रा इलाके में शनिवार को पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने मुस्लिम समुदाय के युवाओं से सवाल किया कि अगर अजित पवार, सुप्रिया सुले, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस नेता बन सकते हैं तो आप क्यों नहीं? ओवैसी ने कहा कि एआईएमआईएम की स्थापना 65 साल पहले कुछ मुट्ठी भर लोगों ने की थी और कुछ लोग ही उसकी बैठकों में शामिल होते थे लेकिन अब यह संख्या हजारों में जा चुकी है.

उन्होंने कहा, ‘हमारी मौजूदगी संसद, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों में है और यह लगातार बढ़ रही है. युवाओं को चाहिए कि वे चुनाव के जरिये प्रशासन में जाने की भी कोशिश करें.’ ओवैसी ने युवाओं से आह्वान किया कि वे आगे आएं, एआईएमआईएम को मजबूत बनाएं और मुस्लिमों व दलितों के अधिकारों के लिए लड़ें.

उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि उसके नेताओं को भारत जोड़ो यात्रा और अन्य गतिविधियों के लिए समय है लेकिन भीड़ हिंसा और अन्य घटनाओं में मारे गए लोगों के परिवारों से मिलकर संवेदना व्यक्त करने के लिए समय नहीं है. ओवैसी ने कहा कि उनकी पार्टी उन सीटों पर शेर उम्मीदवार उतारेगी जिसे वे (विरोधी) अपना गढ़ होने का दावा करते हैं. उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘आप सभी को पैसे के बल पर नहीं खरीद सकते, हमारे पास अब भी कुछ लोग हैं जो हमारे प्रति निष्ठा रखते हैं और उनके साथ हम आपको हराएंगे.’

ओवैसी ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए जानना चाहा कि जब हमारे (मुस्लिम) समुदाय के सदस्यों का उत्पीड़न हो रहा था तब वह चुप क्यों थे. उन्होंने कहा कि NCP चीफ शरद पवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए एआईएमआईएम का समर्थन चाहते हैं. ओवैसी ने आरोप लगाया, लेकिन, संकट के समय जब मुस्लिम समुदाय को समर्थन की जरूरत होती है तो वह भूल जाते हैं, वह कभी आगे नहीं आए, हमें अपने नसीब पर छोड़ दिया. यह किस तरह की धर्मनिरपेक्षता है?