एक बार फिर यहाँ शुरू हुआ ये, 9 करोड़ लोगों पर आई मुसीबत

आपको बता दें कि अब सबसे बड़ी चिंता ये है कि ये बेहद तेजी से पिघल रहा है. अगर ऐसा हुआ तो पूरी दुनिया के सभी समुद्रों का जलस्तर अगले 50 सालों में 2 फीट और 70 सालों में करीब 5 फीट तक बढ़ जाएगा.

 

वहीं इस ग्लेशियर का नाम है थ्वायटेस (Thwaites). यह अंटार्कटिका के पश्चिमी इलाके में स्थित है. इसे लोग डूम्स-डे ग्लेशियर भी कहते हैं. यानी वो ग्लेशियर जो कयामत वाले दिन पिघलेगा. पिछले 30 सालों में इसके पिघलने की दर दोगुनी हो गई है.

गौरतलब है कि थ्वायटेस (Thwaites) ग्लेशियर का क्षेत्रफल 192,000 वर्ग किलोमीटर है. यानी कर्नाटक के क्षेत्रफल 191,791 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा बड़ा और गुजरात के क्षेत्रफल 196,024 वर्ग किलोमीटर से थोड़ा छोटा.

वहीं सबसे बड़ी बात ये है कि थ्वायटेस (Thwaites) ग्लेशियर समुद्र के अंदर चौड़ाई 468 किलोमीटर है. इस ग्लेशियर से लगातार बड़े-बड़े आइसबर्ग टूट रहे हैं. यूके में स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सटर के प्रोफेसर अली ग्राहम ने बताया कि हाल ही में इस ग्लेशियर में छेद किया गया.

बता दें कि इस छेद के जरिए एक रोबोट को इस ग्लेशियर के अंदर भेजा गया. तब यह पता चला कि समुद्र के अंदर से यह ग्लेशियर बहुत तेजी से टूट रहा है. इसके अंदर ग्रेट ब्रिटेन के आकार का छेद हो चुका है.प्रोफेसर अली ग्राहम ने बताया कि अगले 250 सालों में वैश्विक तापमान 2 से 2.7 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा. इससे यह ग्लेशियर पूरी तरह पिघल जाएगा. इसके पीछे ग्लोबल वार्मिंग सबसे बड़ा कारण होगा.

वहीं अगर यह ग्लेशियर टूटा तो दुनियाभर के समुद्रों का जलस्तर 2 से 5 फीट बढ़ जाएगा. इसका असर पूरी दुनिया के तटीय इलाकों पर पड़ेगा. मालदीव जैसे कई द्विपीय देश पानी में समा जाएंगे. अमेरिका का शहर बोस्टन तो समुद्री जलस्तर बढ़ने पर आने वाली आपदा की तैयारी में अभी से जुट गया है.

दुनियाभर में हर दिन कोई ना कोई ग्लेशियर टूटता रहता है, लेकिन इस बार एक ऐसा ग्लेशियर टूटने की खबर आ रही है जिससे करीब 9 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। आपको बता दें कि ये कोई छोटा-मोटा ग्लेशियर नहीं है. इसका आकार लगभग गुजरात के क्षेत्रफल के बराबर है. इतना ही नहीं यह समुद्र के अंदर कई किलोमीटर की गहराई तक डूबा हुआ है.