इस नवरात्रि पर करे ये काम, पूरे होंगे सब बिगड़े काम

योगाभ्यास करते वक़्त पीले आसन (yoga mat) का उपयोग करें और हो सके तो पीले कपड़े पहने और वो आसन करें जो हमारे पेट पर खिचाव उत्पन करते हैं, उनका अभ्यास करें।

 

जैसे पवनमुक्तासन, भुजंग आसन, धनुर आसन, मंडूकासन, उश्ट्र आसन, सूर्य नमस्कार, नोली क्रिया, भस्त्रिका और कपालभाति प्राणायाम करना चाहिए।

मणिपुर चक्र का रंग पीला है अतः इस चक्र को प्रभावित करने के लिए पीले रंग का अधिकतम उपयोग करें, जैसे की पीले वस्त्र पहनें, पीले फल सब्जी और पेय पदार्थ ग्रहण करें, पीले फूल उगाएं, कमरे की दीवारों का रंग पीला करवाएं और परदों का रंग पीला रखें, पीला नग पुखराज धारण करें, चन्दन का तिलक लगाएं आदि।

मणिपुर चक्र बाधित होने पर मनुष्य में असंतोष की भावना बढ़ जाती है। मनुष्य संसारिक कर्मों और लालसा में पूरी तरह उलझ कर रह जाता है। उसके मन में संतोष का भाव नहीं रहता, वो हमेशा अपनी असंतुष्टि से परेशान रहता है। हमेशा कुछ पाने की की इच्छा से दुखी रहता है।

मणिपुर चक्र को जागृत करने के विभिन उपाय हैं, जिनमे से आप अपनी सुविधा अनुसार कुछ उपायों को चुन कर उनका अभ्यास कर सकते हैं।

मणिपुर चक्र प्रतीकात्मक रूप से दस पंखुडियां वाला कमल है। जिसका रंग पीला है। मुख्य विषय जो मणिपुर द्वारा नियंत्रित होते हैं, वे हैं- निजी बल, भय, व्यग्रता और सहज या मौलिक से लेकर जटिल भावना तक के परिवर्तन।

शारीरिक रूप से मणिपुर चक्र पाचन, मानसिक रूप से निजी बल, भावनात्मक रूप से व्यापक्ता और आध्यात्मिक रूप से सभी उपादानों के विकास को नियंत्रित करता है और अगर बात करें सामाजिक और परिवारिक रिश्तों की तो जब यह चक्र जाग्रत होता है.

तो व्यक्ति के अंदर नेतृत्व की भावना आती है और वो एक अच्छा और कुशल मुखिया बनता है इसके अलावा वो अपने जीवन से संतुष्ट हो जाता है जिससे उसके अंदर का लालच खत्म हो जाता है और वो अपने साथ या अपने से छोटा को हमेशा खुश रख एक आदर्श मुखिया साबित होता है।

नाभि चक्र जो हमारे सूक्ष्म शरीर में सात चक्रों के क्रम में तीसरे स्थान पर स्थित है, जिसको मणिपुर चक्र कहा जाता है। मणिपुर चक्र नाभि क्षेत्र के ठीक ऊपर आपके पेट पर स्थित है। आपके पाचन तंत्र को ठीक करने के अलावा, यह चक्र आपके मानसिक और आध्यात्मिक भावनाओं को भी शांत रखता है।

मणिपुर चक्र: नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। इनके पूजन से साधक को मणिपुर चक्र से जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वत: प्राप्त हो जाती हैं तथा सांसारिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।