ईद मनाने से पहले जान ये बात, इस रात को…

चांद की रात रमजान के खतम हाेते ही शुरु हाेती है। ईद के चाँद का दीदार होते ही लोग जश्न मनाने लगते हैं। हर तरफ खुशियां नजर आने लगती है।

 

बाजार पूरी तरह से गुलजार हो जाते हैं। हों भी क्यों न ईद की नमाज जो नए कपड़ों मे अदा करनी है। ईद-उल-फित्र की चांद रात में बाजारों में ईद की खुमारी में डूबे लोंग रात भर खरीदारी करते हैं। दुकानदार सामानों की वाजिब कीमत ही लगते हैं। कई चीजें चांद रात में ही बाजारों में मिलती हैं।

रात में भी मेले जैसा माहौल होता है।पवित्र रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे माह में रोजे रखे जाते हैं। इस महीने के खत्म होते ही 10वां माह शव्वाल शुरू होता है। इस माह की पहली चांद रात ईद की चांद रात होती है।

इस रात का इंतजार सालभर रहता है, क्योंकि इस रात को दिखने वाले चांद से ही ईद-उल-फितर का ऐलान होता है। दुनियाभर में चांद देखकर रोजा रखने और चांद देखकर ईद मनाने की पुरानी परंपरा है। आज भी यह रवायत कायम है।

जब भी ईद की बात होती है, तो सबसे पहले जिक्र आता है ईद के चांद का। ईद का चांद रमजान के 30वें रोज़े के बाद ही दिखता है।

इस चांद को देखकर ही ईद मनाई जाती है। हिजरी कैलेण्डर के अनुसार ईद साल में दो बार आती है। एक ईद ईद-उल-फितर के तौर पर मनाई जाती है.

जबकि दूसरी को कहा जाता है ईद-उल-जुहा। ईद-उल-फितर को महज ईद भी कहा जाता है। जबकि ईद-उल-जुहा को बकरीद के नाम से भी जाना जाता है।

ईद उसी दिन मनाई जाती है जिस दिन चांद नजर आता है। यही वजह है कि कई बार एक ही देश में अलग-अलग दिन ईद मनाई जा सकती है। जहां चांद पहले देखा जाता है, वहां ईद पहले मन जाती है। इस बात से यह स्पष्ट है कि ईद और चांद के बीच खास रिश्ता है।

हिजरी कैलेण्डर चांद पर आधारित कैलेण्डर है। इस कैलेण्डर में हर महीना नया चांद देखकर ही शुरू माना जाता है। ठीक इसी तर्ज पर शव्वाल महीना भी ‘नया चांद’ देख कर ही शुरू होता है।

हिजरी कैलेण्डर के मुताबिक रमजान के बाद आने वाला महीना होता है शव्वाल। ऐसे में जब तक शव्वाल का पहला चांद नजर नहीं आता रमजान के महीने को पूरा नहीं माना जाता।