चीन को लेकर CDS बिपिन रावत ने दिया ये बड़ा बयान, कहा इस्तेमाल किया जाएगा…

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एनएसए और तीन सेवा प्रमुखों के साथ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ गतिरोध पर चर्चा की।चीन ने एलएसी में अपनी उपस्थिति दिखाई जिससे मेल खाने के लिए भारत भी वहां भारी तैनाती कर रहा है।

 

भारत के हिंद महासागर क्षेत्र के साथ-साथ उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर एक विशाल फ्रंट-लाइन है, जिसकी सभी को लगातार निगरानी की आवश्यकता है।

उनके अनुसार भारत अभी भी अपने हित के क्षेत्रों पर नजर रखने के लिए चौबीसों घंटे क्षमताओं का अधिग्रहण करने की दिशा में काम कर रहा है।सूचनाओं के संग्रहण और संयोजन के लिए जिम्मेदार सभी एजेंसियों के बीच नियमित रूप से बातचीत होती है।

उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिम्मेदार सभी लोग इस उद्देश्य के साथ सभी विकल्पों की समीक्षा कर रहे हैं कि पीएलए लद्दाख में यथास्थिति बहाल करे।

2017 में पीएलए के खिलाफ डोकलाम में 73 दिन के सैन्य गतिरोध के दौरान सेना प्रमुख रहे सीडीएस रावत ने इस धारणा को भी खारिज कर दिया कि प्रमुख खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी है।

जनरल रावत ने एचटी को बताया, ‘एलएसी के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं। रक्षा सेवाओं पर निगरानी रखने, निगरानी करने और घुसपैठ को रोकने के लिए ऐसे अभियानों को रोकने का काम सौंपा जाता है।

किसी भी ऐसी गतिविधि को शांतिपूर्वक हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है। रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं, फिर चाहें उसमें एलएसी के साथ यथास्थिति को बहाल करने के सभी प्रयासों का सफल न होना ही शामिल क्यों न हो।’

भारत लगातार चीन के साथ अपने रिश्ते सुधारने के प्रयासों में लगा हुआ है, लेकिन वो अपनी संप्रभुत्ता से समझौता करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने स्पष्ट रूप से कहा है .

लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए बदलावों से निपटने के लिए एक सैन्य विकल्प मौजूद है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केवल दो देशों की सेनाओं के बीच बातचीत होने पर ही उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा वरना राजनियक विकल्प अधूरा है।