OMG : आगरा के ज‍िला प्रशासन ने बंदरों की नसबंदी पर किये इतने करोड़ रुपए खर्च

व‍िश्व व‍िरासत ताजमहल में बंदरों के आतंक से पर्यटक परेशान हैं. इनके आतंक से निपटने में पूरा आगरा प्रशासन असहाय हो गया है. बंदरों के हमले से लोग लगातार घायल हो रहे हैं. यहां तक क‍ि आगरा का ज‍िला प्रशासन इनकी नसबंदी पर 1 करोड़ 86 लाख रुपए खर्च कर चुका हैलेक‍िन हालात जस के तस हैं. बंदरों को पकड़ने के लिए प‍िंजरे भी लगाए गए लेक‍िन उसका भी कोई फायदा होता नहीं दिख रहा है.

1 करोड़ 86 लाख रुपए खर्च के बाद भी आगरा ज‍िले में बंदरों के हमलों की संख्या कम नहीं हुई है. ये आंकड़ा दर्शाता है क‍ि बंदरों की संख्या न‍िरंतर बढ़ रही है और एनजीओ के प्रयास बंदरों को कंट्रोल करने में नाकाफी साब‍ित हो रही है.

आगरा के पूर्व संभागीय कम‍िश्नर के. राम मोहन राव के आदेश पर वन्यजीव एसओएस एनजीओ ने बंदरों की नसबंदी का कार्यक्रम चलाया था. इसमें सिर्फ 500 बंदरों की ही नसबंदी हो पाई. एक बंदर की सर्जरी की कीमत थी 37 हजार रुपए जो इंसान की सर्जरी से भी महंगी साब‍ित हुई. ज‍िस जगह से बंदर पकड़े गए, उस लोकेशन पर उन्हें छोड़ा भी नहीं गया बल्क‍ि क‍िसी दूसरी जगह पर छोड़ा गया. इससे भी बंदर आक्रामक हो गए.

वन्यजीव एसओएस ने अब एक र‍िवाइज्ड प्लान प्रशासन को भेजा है ज‍िसमें 10 हजार बंदरों की नसबंदी होने की बात कही गई है. इसमें 3 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. हालांक‍ि इसके ल‍िए वन व‍िभाग ने एनओसी नहीं दी है. वन विभाग ने दावा क‍िया है क‍ि उन्होंने इस एनजीओ से कुछ सवाल पूछे थे ज‍िनके जवाब उन्हें अभी तक नहीं म‍िले हैं.

मुख्य वन सरंक्षक जावेद अख्तर ने कहा क‍ि 1 करोड़ 86 लाख रुपए खर्च के बाद भी आगरा ज‍िले में बंदरों के हमलों की संख्या कम नहीं हुई है. ये आंकड़ा दर्शाता है क‍ि बंदरों की संख्या न‍िरंतर बढ़ रही है और एनजीओ के प्रयास बंदरों को कंट्रोल करने में नाकाफी साब‍ित हो रहे हैं. अब वन व‍िभाग इस बात का इंतजार कर रहा है एनजीओ, बंदरों के पकड़ने और उनके ऑपरेशन की र‍िपोर्ट दे तो फ‍िर एनओसी देने के बारे में सोचा जाएगा.

एनजीओ ने कहा, पिंजरे दिए ही नहीं बंदरों को दूर कैसे छोड़ते

हिमाचल प्रदेश में भी वन्यजीव एसओएस ने दावा क‍िया था क‍ि 2007 के बाद 1 लाख बंदरों की नसबंदी की गई है और हर साल 20 हजार बंदरों की वह सर्जरी कर रहे हैं लेकिन वहां भी बंदरों की संख्या कंट्रोल नहीं हो पाई है. एनजीओ ने अपना बचाव करते हुए दावा क‍िया क‍ि बंदरों की नसबंदी के बाद आगरा न‍गर निगम को इन्हें शहर के बाहर दूर के इलाकों में छोड़ना था लेक‍िन बंदरों को पकड़ने वाले प‍िंजरे एनजीओ को द‍िए ही नहीं गए, बल्कि वे नगर निगम के गोदाम में ही रखे हुए हैं. इस वजह से समस्या जस की तस बनी हुई है.

गौरतलब है क‍ि मई 2018 में आगरा में ताजमहल को देखने पहुंचे दो विदेशी पर्यटक बंदरों के आतंक का शिकार हो गए थे. बंदरों ने ताजमहल में मौजूद भीड़ पर हमला कर दिया. पर्यटक कुछ समझ पाते इससे पहले ही बंदरों ने एक विदेशी महिला पर्यटक के पैर में काट लिया. इसके बाद बंदरों ने एक और पर्यटक पर हमला कर द‍िया था.