अब इस देश में महिला सैनिकों को नहीं पहनना पड़ेगा पुरुषों के अंडरवियर, होने जा रहा ये बदलाव

स्विट्जरलैंड की सेना के प्रवक्ता ने कहा कि सेना के उपकरण और वर्दी महिलाओं की विशिष्ट आवश्यकताओं के लिए बहुत कम थे या ना के बराबर थे, लेकिन अब जैसे-जैसे सेना में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है तो इसमें भी बदलाव किया जा रहा है।

सेना ने कहा कि आर्मी द्वारा उपलब्ध होने वाले कपड़े और कुछ चीजें अब पूरी तरह बीते दौर की बात हो चुकी है। इसका आधुनिकीकरण करते हुए अब महिला सैनिकों को अलग से कपड़े और उपकरण दिए जाएंगे। सेना ने जल्द ही अधिक महिला भर्तियों को आकर्षित करने की घोषणा के बाद अंडरवियर के इस नियम में बदलाव करने के घोषणा की है।

गौरतलब है कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर स्विस फेडरल डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस, सिविल प्रोटेक्शन एंड स्पोर्ट ने कहा कि स्विस सेना में महिलाओं के अनुपात को बढ़ाना चाहती है। वहां मंत्रालय ने कहा कि इससे ‘महिलाओं के लिए एक नई सेवा’ लागू होगी और ‘सैन्य सेवा, कार्य, शिक्षा और परिवार के सामंजस्य’ को बढ़ावा देगा।

फिलहाल स्विट्जरलैंड की सेना में महिला सैनिकों की संख्या एक फीसदी से भी कम है, लेकिन वहां की सरकार अब इसमें बढ़ोतरी करना चाहती है। सरकार 2030 तक इसे 10 फीसदी तक बढ़ाना चाहती है और साल 2019 में विओला एमहर्ड को देश के इतिहास में पहली महिला रक्षा मंत्री बनाया गया था।

सरकार की ओर से जारी आदेश के बाद स्विट्जरलैंड में पहली बार महिला सैनिकों को महिलाओं के अंडरवियर पहनने के लिए दिए जाएंगें क्योंकि आर्मी में अधिक महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है।

फिलहाल महिला सैनिकों को पुरुषों के अंडरवियर के दिए जाते हैं लेकिन अब गर्म और ठंडे मौसम के लिए महिलाओं के अंडरगारमेंट्स के दो अलग-अलग सेटों का परीक्षण अगले महीने से शुरू होने वाला है।

आप यह जानकर हैरान हो सकते हैं कि दुनिया में एक ऐसा देश में भी है, जहां सेना में तैनात महिला सैनिकों को पुरुषों के अंडरगारमेंट पहनना पड़ता है। ये व्यवस्था है दुनिया के विकसित देशों में माने जाने वाले स्विट्जरलैंड में, जहां लंबे समय बाद अब स्विट्जरलैंड सरकार इस व्यवस्था में बदलाव करने जा रही है।

स्विट्जरलैंड में सेना में मौजूद महिला सैनिकों को पुरुषों के ही अंडरवियर पहनना पड़ते हैं और यह व्यवस्था देश में बीते कई सालों से चली आ रही है। लेकिन अब स्विट्जरलैंड में जैसे-जैसे सेना में महिला सैनिकों की भागीदारी बढ़ते जा रही है तो इसमें बदलाव की मांग भी होने लगी थी और अब हाल ही में स्विट्जरलैंड सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म करने के संबंध में आदेश जारी कर दिया है।