अब भारत के साथ जो बाइडेन करेंगे ये काम, पूरा होगा 14 साल पुराना ख्वाब…

इसके बाद सितंबर 2014 में जब पीएम मोदी अमेरिका गए तो जो बाइडेन ने पीएम के लिए खास लंच का आयोजन किया था। इसके बाद साल 2016 में जो बाइडेन ने कांग्रेस के जॉइंट सेशन की अध्यक्षता की जिसमें पीएम मोदी का संबोधन था।

 

वहीँ, अब जब जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए हैं तब उनके पास अमेरिका और भारत के बीच संबंधों को बेहतर बनाने और मजबूत करने के कई अवसर हैं। इस तरह से बाइडेन अपना 14 साल पुराना ख्वाब भी पूरा कर पाएंगे। दरअसल, ये पुराण सपना इसलिए भी है क्योंकि बाइडेन ने दिसंबर 2006 में अख़बार से हुई बातचीत में कहा था, ” मेरा ख्वाब है कि 2020 में दुनिया के दो सबसे करीबी देश भारत और अमेरिका हों। अगर ऐसा होता है तो दुनिया पहले से अधिक सुरक्षित होगी।”

जो बाइडेन ने भारत के पक्ष में काम करते हुए अगस्त 2001 में राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को पत्र लिखकर भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की अपील की थी। इसके बाद उन्होंने 2008 में भारत-अमेरिका के बीच असैन्य परमाणु समझौते को पूरा करने के लिए अपनी अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए एक हिमायती की तरह काम किया है।

ज्ञात है कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के रहते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उनके साथ अच्छे संबंध रहे थे, उस समय जो बाइडेन उपराष्ट्रपति थे। जब बराक ओबामा 2010 में भारत आए थे।

उसके बाद उपराष्ट्रपति जो बाइडेन 2013 में 4 दिवसीय भारत दौरे पर आए थे। इस दौरान उन्होंने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी से मुलाकात की थी। इसके साथ ही उन्होंने मुंबई में कारोबारियों के साथ मीटिंग भी की थी।

एक सीनेटर के तौर पर जो बाइडेन 1978-2008 तक और उपराष्ट्रपति के तौर पर 2009 से 2016 तक कई बार मजबूती से भारत के साथ खड़े रहे। बाइडेन ने भारत के पक्ष में कई बड़े प्रस्तावों का समर्थन किया।

भारत और अमेरिका के बीच कई साझा हित हैं। रणनीति, राजनीति, डिफेंस, सुरक्षा, अर्थव्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य और स्पेस के क्षेत्र में दोनों देश साथ काम कर रहे हैं। साथ काम करते हुए दोनों देशों के बीच रिश्ता लगातार मजबूत होता जा रहा है।

अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बाइडेन भारत के बड़े समर्थक रहे हैं। उन्होंने भारत-अमेरिका के संबंधों को मजबूत बनाए रखने को हमेशा अहमियत दी है।

उन्होंने अपने सीनेटर और उपराष्ट्रपति होते हुए भारत के पक्ष में कई सहभागी कदम उठाए थे। अब आगे भी जो बाइडेन को लेकर उम्मीद की जा रही है कि वो भारत के साथ सकारात्मक रवैया रखेंगे।