अब नाक से ठीक होगा कोरोना वायरस, इस देश ने बनाई ये अनोखी दवा

वैक्सीन का विकास हांग कांग और चीन के संयुक्त मिशन का हिस्सा है. वैक्सीन के विकास में हांग कांग यूनिवर्सिटी के अलावा जियामिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता शामिल हैं.

अखबार की रिपोर्ट में वैक्सीन से मिलनेवाली इम्युनिटी पर भी बात की गई है. फिलहाल अभी साफ नहीं है कि नाक के स्प्रे के जरिए दी जानेवाली वैक्सीन से मिलनेवाली इम्युनिटी इंजेक्शन से दी जानेवाली वैक्सीन की तुलना में ज्यादा समय तक बाकी रहती है या नहीं.

नाक के स्प्रे से दी जानेवाली कोविड वैक्सीन में लाइव, एटेन्यूएटेड फ्लूवैक्सीन का इस्तेमाल किया गया है. इसे LAIV भी कहा जाता है. इसके अलावा चीन में चार अन्य टेक्नीकिल तरीकों से कोरोना वायरस वैक्सीन का विकास किया जा रहा है.

रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि बाजार में सबसे जल्दी उपलब्ध होने वाली निष्क्रिय वैक्सीन होगी. प्रतिरक्षा वैज्ञानिक ने बताया कि नई वैक्सीन साइड इफेक्ट्स का कारण नहीं बन सकती है. लेकिन श्वसन तंत्र पर इसका साइड इफेक्ट्स हो सकता है.

ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक ये वैक्सीन अपनी तरह की पहली वैक्सीन है. नाक के स्प्रे के जरिए दी जानेवाली वैक्सीन लेनेवाले को इन्फलुएंजा और नए कोरोना वायरस से दोहरी सुरक्षा प्रदान कर सकती है.

बीजिंग के एक प्रतिरक्षा वैज्ञानिक ने अखबार को बताया कि आम इंजेक्शन की तुलना में नाक के स्प्रे के जरिए दी जानेवाली वैक्सीन का इस्तेमाल आसान है. इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण भी सुविधाजनक होगा.

चीन ने नाक के स्प्रे से जरिए दी जानेवाली कोविड वैक्सीन के परीक्षण की मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि नवंबर में मानव परीक्षण का पहला चरण शुरू हो सकता है. इसके लिए 100 वॉलेंटियर को नियुक्त करने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है.

चीन ने नाक के स्प्रे से दी जानेवाली कोविड वैक्सीन के परीक्षण की मंजूरी दे दी है. माना जा रहा है कि नवंबर में 100 वॉलेंटियर पर पहले चरण का परीक्षण शुरू होगा.