महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद अभी तक सरकार बनाने का कार्य पूरा नहीं हो पाया है। इस बीच प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की अटकलें तेज हो गई हैं।
संविधान के अनुच्छेद 356 व 365 में राष्ट्रपति शासन से सम्बंधित प्रावधान हैं। किसी भी प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद वह प्रदेश सीधे केन्द्र सरकार के नियंत्रण में आ जाता है।
अनुच्छेद 356 के मुताबिक, राष्ट्रपति अगर इस बात से संतुष्ट हों कि प्रदेश सरकार संविधान के विभिन्न प्रावधानों के अनुसार कार्य नहीं कर रही है, तो वह उस प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा सकते हैं। हालांकि यह आवश्यक नहीं है कि राष्ट्रपति गवर्नर की रिपोर्ट के आधार पर ही ऐसा करें। अनुच्छेद 365 के मुताबिक, अगर कोई प्रदेश सरकार केन्द्र सरकार द्वारा दिए गए संवैधानिक निर्देशों का अनुसरण नहीं करती है, तो इस हालत में भी उस प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। हालांकि राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने के दो महीनों के भीतर ही संसद के दोनों सदनों से इसका अनुमोदन किया जाना आवश्यक है।
चुनाव के बाद अगर किसी पार्टी को बहुमत न मिला हो, तो भी राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है। इसके अतिरिक्त अगर किसी पार्टी को बहुमत मिला हो, किन्तु वह सरकार बनाने से मना कर दे। फिर गवर्नर को कोई दूसरा ऐसा गठबंधन न मिले जो सरकार बनाने की अवस्था में हो, तब भी राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है।