अब चीन को इस देश ने दिखाई आँख, कर दिया ये एलान, बातचीत के लिए तैयार

दोबारा राष्ट्रपति पद की कमान संभालते हुए कहा कि वह चीन के साथ बातचीत कर सकती हैं मगर चीन को भी समझना होगा कि एक देश और दो सिस्टम के मुद्दे पर बातचीत नहीं होगी।

 

वेन ने रिकॉर्ड रेटिंग के साथ अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत की है। उनके पहले कार्यकाल के दौरान चीन के साथ ताइवान का तनाव बढ़ा है और इसी के मद्देनजर वेन ने कहा कि वह वास्तविक स्थिति के आधार पर चीनी राष्ट्रपति के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।

वेन के पहले कार्यकाल के दौरान भी चीन और ताइवान के बीच काफी तनातनी रही थी और चीन ने ताइवान के साथ अपने सारे रिश्ते तोड़ दिए थे।

चीन और ताइवान के बीच विवाद का एक बड़ा कारण यह है कि चीन हमेशा से ताइवान को अपना अभिन्न हिस्सा बताता रहा है जबकि ताइवान खुद को अलग देश बताता है। यह विवाद 1949 में माओत्से तुंग के समय से ही चल रहा है।

वेन का का कहना है कि वे चीन के संप्रभुता के दावे को पूरी तरह खारिज करती हैं। चीन को अपने रुख में बदलाव लाना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करता है तो वह ताइवान के साथ अपने रिश्ते को बिगाड़ने की जमीन तैयार कर रहा है।

वेन ने कहा कि मुझे उम्मीद है कि चीन का नेतृत्व जिम्मेदारी से फैसले लेगा और साथ मिलकर दोनों देशों के संबंधों के दीर्घकालीन विकास को बढ़ाने की दिशा में काम करेगा।

उन्होंने चीन और ताइवान के बीच संबंधों में शांति और समानता लाने का आह्वान किया। उन्होंने हांगकांग की तरह एक देश और दो प्रणालियों पर अपना विरोध भी दर्ज कराया।

कोरोना वायरस के संक्रमण को लेकर पूरी दुनिया के निशाने पर आए चीन के खिलाफ अब ताइवान ने भी आंखें तरेरी हैं। ताइवान की राष्ट्रपति साईं इंग वेन ने साफ तौर पर कहा है कि चीन को यह समझ लेना चाहिए कि लोकतांत्रिक ताइवान किसी भी सूरत में चीनी नियम कायदे को स्वीकार नहीं करेगा।

उन्होंने कहा कि चीन को अपने रवैये में बदलाव लाना होगा और ताइवान की संप्रभुता को भी स्वीकार करते हुए शांति से जीने का तरीका खोजना होगा।

उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ समानता के आधार पर बातचीत की पेशकश की। दूसरी ओर चीन ने कहा है कि वह ताइवान की स्वतंत्रता को कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।