निर्भया केसः फांसी से बचने के लिए गुनहगारों ने किया ऐसा काम, जानकर उड़े लोगो के होश

निर्भया के गुनाहगारों की वकालत करने वाले वकील एपी सिंह का कहना है कि वो आगे बताएंगे कि अभी इस मामले में लीगल रेमेडीज़ क्या क्या बची हैं.

 

बस, बाकी सब ठीक है. पर काले कोट वाले कानून के इन होनहार वकील की ये एक लाइन फिर मौत को बेयकीनी बना देती है. हम सबको ये पता है कि इन चारों की मौत यकीनी है.

लेकिन हर बार ऐन मौत से पहले ये वकील साहब कानून के पिटारे से ऐसे-ऐसे बाण निकालते हैं कि कमबख्त मौत भी पलट जाती है.

निर्भया के चारों गुनहगारों के नाम अब चौथी बार डेथ वारंट निकाला गया है. चौथी बार मौत की जो नई तारीख तय की गई है, वो है 20 मार्च शुक्रवार सुबह साढ़े पांच बजे.

चौथा डेथ वारंट भी उसी पटियाला हाउस कोर्ट ने जारी किया जो इससे पहले 22 जनवरी, 1 फरवरी और 3 मार्च की तीन तारीख फांसी के लिए तय कर चुका था.

पर तीनों ही बार खुद फांसी लटक गई. पर ये चारों नहीं लटक पाए. तो अब? क्या चौथे डेथ वारंट का हश्र भी पहले की तीन डेथ वारंट जैसा होगा? या फिर ये मौत की फाइनल और आखिरी तारीख साबित होगी?

निर्भया की वकील का कहना है कि इस बार ये आखिरी डेथ वारंट साबित होगा. वैसे क़ानून के नज़रिए से देखें तो लगता है कि इस बार ये चारों नहीं बच पाएंगे.

बीस मार्च सुबह साढ़े पांच बजे इनकी ज़िंदगी की आखिरी तारीख़ होगी. आइए समझते हैं कि ऐसा क्यों होगा? कानून ने फांसी से बचने के लिए इन चारों को जितनी भी लाइफ लाइन दी थी, लगभग अब वो सारी ख़त्म हो चुकी हैं.

बस, एक पवन की एक लाइफ़ लाइन छोड़कर. पवन की जो इकलौती लाइफ लाइन बची है, वो है राष्ट्रपति की तरफ से खारिज दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देना.

पवन की दया याचिका बुधवार को राष्ट्रपति ने खारिज कर दी थी. गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट ने नया डेथ वारंट जारी किया.

पर पवन ने अभी खारिज दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दी है. मौत से बचने के लिए 20 मार्च से पहले-पहले वो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती ज़रूर देगा.

उम्मीद पे फांसी क़ायम है. तीन तारीख टल गई तो क्य़ा हुआ, अब मौत की चौथी और नई ताऱीख आ गई है. निर्भया के इन चार गुनहगारों की फांसी के लिए अब शुक्रवार बीस मार्च सुबह साढ़े पांच बजे का वक्त तय किया गया है.

पर पुराना सवाल अब भी अपनी जगह कायम है. सवाल ये कि कहीं 20 मार्च का अंजाम भी तो 22 जनवरी, एक फरवरी या तीन मार्च जैसा नहीं होगा?

तो जवाब है कि शायद इस बार तिहाड़ से जल्लाद को खाली हाथ ना जाना पड़े. क्योंकि पहली बार ऐसा है जब चारों गुनहगारों की लाइफ लाइन खत्म हो चुकी है.