निर्भया कांड: जल्द ही देश में दूसरी बार एक साथ मिलेगा ये…

काफी समय से चल रहे निर्भया काण्ड का मुद्दा अब धीरे धीरे अपना एक रुख लेने वाला है निर्भया के दोषियों को फांसी देने की तैयारी की जा रही है

ऐसे में एक सवाल जहन में आता है कि इससे पहले यह सजा किन लोगों का मिल चुकी है तिहाड़ के इतिहास पर नजर डालें तो अंतिम बार फांसी की सजा आतंकवादी अफजल गुरु को दी गई थी उससे पहले रंगा-बिल्ला को फांसी दी गई थी दिल्ली की तिहाड़ कारागार में पहली बार और देश में दूसरी बार चार लोगों को एक फांसी देने की तैयारी की जा रही है

जानकारी के लिए हम आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि इसके पहले पुणे की यरवदा कारागार में 27 नवंबर 1983 को जोशी अभयंकर केस में दस लोगों का कत्ल करने वाले चार लोगों को एक साथ फांसी दी गई थी जबकि तिहाड़ की फांसी कोठी में पहली बार एक साथ दो लोगों को फांसी 37 वर्ष पहले 31 जनवरी 1982 को रंगा-बिल्ला को दी गई थी अभी तक तिहाड़ में चार लोगों को एक साथ फांसी कभी नहीं दी गई निर्भया के गुनहगारों की तादाद चार है ऐसे में देखना होगा कि क्या इस बार इस बार इन्हें किस तरह से फांसी दी जाती है

वहीं इस बात का पता चला है कि जनवरी 1976  मार्च 1977 के बीच पुणे में राजेंद्र जक्कल, दिलीप सुतार, शांताराम कान्होजी जगताप  मुनव्वर हारुन शाह ने जोशी-अभयंकर केस में दस लोगों की हत्याएं की थीं ये सभी हत्यारे अभिनव कला महाविद्यालय, तिलक रोड में व्यवसायिक कला के विद्यार्थी थे,  सभी को 27 नवंबर 1983 को उनके आपराधिक कृत्य के लिए एक साथ यरवदा कारागार में फांसी दी गई थी इसके साथ ही दिल्ली की विभिन्न जेलों में बंद 17 कैदी जिन्हें फांसी की सजा मिली हुई है, उनके माथे पर चिंता की लकीरें अब नजर आने लगी हैं कारागार सूत्रों के अनुसार, प्रशासन फांसी की सजा को अमलीजामा पहनाने वाले जल्लाद की खोजबीन में जुटा हुआ है तिहाड़ के कारागार नंबर तीन में जिस बिल्डिंग में फांसी कोठी है, उसी बिल्डिंग में कुल 16 डेथ सेल बनाए गए हैं डेथ सेल में सिर्फ उन्हीं कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें सज़ा-ए-मौत मिली होती है डेथ सेल की पहरेदारी स्पेशल पुलिस करती है