नेपाल ने भारत के इन तीन इलाकों को बताया…पेश किया…

नेपाल की सरकार को संसद के भीतर मुख्‍य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस का भी समर्थन मिल गया है। नेपाल के कानून, न्याय और संसदीय कार्य मंत्री शिवमाया तुम्बाहांगफे को बुधवार को यह बिल संसद में रखना था।

 

हालांकि, नेपाली कांग्रेस के कहने पर सदन की कार्यवाही की सूची से बिल हटा दिया गया क्योंकि पार्टी को सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस पर निर्णय लेना था।

दरअसल, नेपाल ने नए नक्शे में भारत के तीन इलाकों (कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख) को अपनी सीमा के भीतर दिखलाया है, जो भारत की सीमा में आते हैं, लेकिन नेपाल इन पर दावा करता आया है।

नेपाली संविधान में संशोधन करने के लिए संसद में दो तिहाई वोटों का होना आवश्यक है। नेपाल अपने कोट-ऑफ-आर्म्स (देश के चिह्न) में भी नए नक्शे को शामिल करेगा।

इसके लिए संविधान की अनुसूची-3 में संशोधन की जरूरत है। बिल पर सदन में विचार-विमर्श होगा, दोनों सदनों से बिल के पास होने के बाद राष्ट्रपति इस पर दस्तखत करेंगे।

नेपाल में आमतौर पर संविधान संशोधन बिल पास होने में एक महीने का समय लग जाता है। सूत्रों के मुताबिक इस बार नेपाली संसद बिल को अगले दस दिनों पास करने की कोशिश करेगी, इसके लिए कई प्रक्रियाओं को दरकिनार भी किया जा सकता है।

कोरोना वायरस संकट के बीच सीमा विवाद पर नेपाल की सरकार ने भारत के साथ बातचीत के सुझाव से साफ इनकार कर दिया है। नेपाल सरकार ने अपने नए नक्शे को संविधान में शामिल करने के लिए संसद में बिल पेश किया है।

इस बिल के जरिए देश के राजनीतिक नक्शे और राष्‍ट्रीय प्रतीक को बदला जा रहा है। इस नए नक्शे में भारत के तीन इलाकों लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा शामिल हैं। विपक्षी पार्टियों ने भी इस मुद्दे पर सरकार को समर्थन देने का वादा किया है।