केवल दो सीमावर्ती चौंगरू और झूलाघाट, जो क्रमशः नेपाल के दारचुला और बेटरई जिलों में स्थित हैं, स्थायी रूप से मौजूद हैं। शेष 13 सीमा चौकी, जो नेपाल के गाँवों में स्थित हैं जैसे कि डाकोत, सिनकू, ब्रह्मदेव, खेट बागड़, काकड़ा, दिक्कची, उक्कू, बाकू, रौतारा और बलरा, अस्थायी रूप से स्थापित हैं।
नेपाल द्वारा नए राजनीतिक नक्शे में लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने प्रदेशों के रूप में दर्शाये जाने से दोनो मित्र देशों के बीच तनावपूर्ण स्थित हो गई है।
नेपाल ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और आस-पास के क्षेत्रों में भारत-नेपाल सीमा के साथ 15 सीमा चौकियों में से अधिकांश पर पहली बार सशस्त्र पुलिस बल तैनात की जा रही हैं।
पहले ये सीमा चौकी नेपाल प्रहरी के जवानों द्वारा संचालित की जाती थी। नया विकास यह है कि नेपाल ने अब अपने सशस्त्र पुलिस बल को तैनात किया है, जिसे नेपाल सशस्त्र प्रहरी कहा जाता है। सशस्त्र पुलिस बल अब साल भर सीमा चौकियों की चौकसी कर सकता है।
सूत्रों का कहना है कि छंगरू और झूलाघाट में नेपाल सशस्त्र प्रहरी की ताकत इस समय 20 से अधिक है। पहले, नेपाली सरकार इन दो सीमा चौकियों पर नेपाल प्रहरी के लगभग छह जवानों को तैनात करती थी।
भारत के तमाम हिस्सों को अपना बताने के बाद नेपाल ने अगला बड़ा कदम उठाते हुए भारत से लगी हुई अपनी सीमा की 15 पोस्टों पर नेपाल सशस्त्र पुलिस को तैनात कर दिया है। जबकि दो स्थानों पर जवानों की यह संख्या लगभग तीन गुना कर दी गई है। पहले इन सीमा चौकियों पर नेपाल प्रहरी के जवानों की तैनाती रहती थी।