नेपाल ने भारत के इन इलाकों को बताया अपना, कहा बन सकता…

भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में उस वक्त तनाव दिखा जब रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख दर्रे को धारचुला से जोड़ने वाली रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 80 किलोमीटर लंबी सड़क का उद्घाटन किया। नेपाल ने इस सड़क के उद्घाटन पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए दावा किया कि यह सड़क नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरती है।

 

नेपाल के सत्ताधारी और विपक्षी राजनीतिक दलों ने शनिवार (13 जून) को नए विवादित नक्शे को शामिल करते हुए राष्ट्रीय प्रतीक को अद्यतन करने के लिये संविधान की तीसरी अनुसूची को संशोधित करने संबंधी सरकारी विधेयक के पक्ष में मतदान किया था।

इसके तहत भारत के उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली क्षेत्र के तौर पर दर्शाया गया था। भारत ने इस कदम का सख्त विरोध करते हुए इसे स्वीकार करने योग्य नहीं बताया था।

नेशनल असेंबली से इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद यह काठमांडू और नई दिल्ली के बीच संबंधों में एक स्थायी अड़चन बन सकता है।नेशनल असेंबली में इस बिल ने के समर्थन में 57 वोट पडे और किसी ने भी बिल के खिलाफ वोट नहीं किया।

शनिवार (13 जून) को नेपाल के निचले सदन में मौजूद सभी 258 सांसदों ने संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया। प्रस्ताव के खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा। अब विधेयक को नेशनल असेंबली में फिर इसी प्रक्रिया से गुजरा। यहां सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के पास नेशनल असेंबली में दो तिहाई बहुमत था।

नेपाली संसद के उच्च सदन (नेशनल असेंबली) ने गुरुवार को देश के नए राजनीतिक नक्शे को अद्यतन (अपडेट) करने के संविधान संशोधन विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। इस नक्शे में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन भारतीय क्षेत्रों को शामिल किया गया है। दोनों सदनों से मंजूरी के बाद अगले चरण के लिए इसे राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजा जाएगा।