अपनी हरकतों से बाज नही आ रहा चीन अब चली यह चाल, इन प्रतीकों पर लगा दिया…

चीन ने सांस्कृतिक क्रांति के दौरान इस क्षेत्र में सभी अरबी प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा दिया। 1975 में पीपल लिबरेशन आर्मी ने 300 बच्चों सहित 1,500 से अधिक हुई मुस्लिमों की मर्डर कर दी व 4,000 से अधिक घर भी नष्ट किये गए।

चीन द्वारा जारी वीडियो में दंगे व लूटपाट के दृश्य दिखाए गए हैं। साथ ही आंकड़ों के जरिये यह बताने का कोशिश किया गया है कि अमेरिक की पुलिस क्रूर है। वीडियो राष्ट्रपति ट्रंप के पुलिस का बचाव करने की भी आलोचना करता है। यह बात ठीक है कि अमेरिका में जो कुछ हुआ उसकी आलोचना की जानी चाहिए, मगर आलोचना का यह अधिकार चाइना को नहीं है। क्योंकि वह हांगकांग (Hong Kong) में खुद मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रहा है। उसकी पुलिस खुलेआम लोगों का शोषण कर रही है।

मौजूदा समय में चाइना केवल एक ही बात जानता है, अपनी संस्कृति दूसरों पर थोपना। 2018 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक आदेश जारी किया था, जिसका उद्देश्य मुस्लिमों का चीनीकरण था व हुई मुस्लिम (Hui Muslims) भी इसमें शामिल थे। तब से सरकार ‘हुई’ संस्कृति को अरब कहती आ रही है। बीजिंग इसे विदेशी संस्कृति मानता है न कि चीनी। चाइना ने कई बार धार्मिक स्थानों पर हमला किया, मस्जिदों को नष्ट कर दिया व कुछ को फिर से ऐसे बनाया ताकि वे अधिक चीनी दिखाई दें।अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की मृत्यु के बाद भड़की हिंसा से चाइना को अमेरिका पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। बीजिंग ने एक वीडियो जारी करके अमेरिकी पुलिस बल की किरदार पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं।

चीन भले ही कुछ भी कहे लेकिन हांगकांग व मिनियापोलिस के मामलों में कई अंतर हैं। उदाहरण के तौर पर पुलिस ऑफिसर के हाथों जॉर्ज फ्लॉयड की मर्डर किसी सरकारी आदेश पर नहीं हुई थी। जबकि हांगकांग में असंतोष का दमन चीनी सरकार का आदेश है। माओत्से तुंग (Mao Zedong) के दौर में प्रारम्भ हुई सांस्कृतिक क्रांति ने चीनी सभ्यता को मिटा दिया था।

आज शी जिनपिंग जातीय एकता का आह्वान करते हुए हुई क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं। लेकिन वे शायद भूल गए हैं कि कई मुस्लिमों को रीएजुकेशन शिविरों में भेज दिया गया है। उन्हें झिंजियांग के उइघुर मुसलमानों की तरह यातनाएं दी गई हैं, दस लाख से अधिक हिरासत में हैं। बहुत से लोगों पर झूठा आरोप लगाकर उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है।