चीन से बढ़ती चुनौतियों के बीच नौसेना ने अरब सागर में किया युद्धाभ्यास, 35 से अधिक विमानों ने लिया हिस्सा

चीन से बढ़ती चुनौतियों के बीच नौसेना ने अरब सागर में युद्धाभ्यास किया। इसमें दो विमानवाहक पोतों, कई युद्धपोतों, पनडुब्बियों और 35 से अधिक विमानों ने हिस्सा लिया। अरब सागर में हुए इस अभ्यास में पहली बार आईएनएस विक्रांत और विक्रमादित्य ने साथ युद्धाभ्यास किया है।

इसे नौसेना के द्वारा हाल के वर्षों में अपने युद्ध कौशल के सबसे बड़े प्रदर्शनों में से एक के तौर पर देखा जा रहा है। इससे चीन को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की गई है। आपको बता दें कि विस्तारवाद की नीति के कारण सीमा साझा करने वाले सभी देशों के साथ चीन के संबंध काफी खराब चल रहे हैं। भारत कई मौकों पर इसका विरोध कर चुका है।

नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने शनिवार को कहा, विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत इस अभ्यास के केंद्रबिंदु रहे। इन पोतों ने मिग-29के लड़ाकू विमानों और एमएच60आर व कामोव जैसे हेलीकॉप्टर के लिए ‘फ्लोटिंग एयरफील्ड’ के रूप में कार्य किया।

कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, अभ्यास हिंद महासागर की सुरक्षा और शक्ति-प्रक्षेपण को बढ़ाने की नौसेना की कोशिशों में एक मील का पत्थर है। उन्होंने अभ्यास की तारीख का खुलासा किए बिना कहा कि ‘कैरियर बैटल ग्रुप’ ऑपरेशन हाल ही में आयोजित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि इस अभ्यास ने समुद्री क्षेत्र में भारत की तकनीकी विशेषज्ञता को प्रदर्शित किया है।

नौसेना ने कहा कि शक्ति प्रदर्शन के दौरान उसने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने और समुद्री क्षेत्र में साझेदारी को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, ”भारतीय नौसेना ने अरब सागर में 35 से अधिक विमानों के साथ मिशन को अंजाम दिया है, जो विशाल समुद्री विस्तार में निरंतर हवाई संचालन सुनिश्चित करने में उसकी जबरदस्त क्षमता का प्रदर्शन करता है और भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”

नौसेना के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत इस अभ्यास का आकर्षण केंद्र थे। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, ”अभ्यास हिंद महासागर और उससे आगे समुद्री सुरक्षा व शक्ति-प्रक्षेपण को बढ़ाने की भारतीय नौसेना की कोशिशों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।”