चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक, वो ग्राउंड पर क्या हुआ वे इससे अनजान थे, लेकिन इतना तय है कि हाल के कुछ दिनों में भारतीय सैनिक चीन की सीमा में कई बार कई जगहों से दाखिल हुए। इन सैनिकों को चीन की सेना के जवानों ने भगाने की कोशिश की थी। गौरतलब है कि 1967 के बाद से गलवन में हुई घटना सबसे भीषण थी। मई से ही भारतीय सीमा पर जवान चीन की तरफ से होने वाली घुसपैठ और दुस्साहस का सामना कर रहे हैं। उन्होंने भारतीय सीमा में दाखिल होने के बाद वहां पर अस्थाई निर्माण भी किया। इन्हीं निर्माण को हटाने की वजह से तीन दिन पहले गलवन की घटना हुई थी। चीन की तरफ से यहां पर ऑब्जर्वेशन टावर, टैंट बनाए गए।
इस घटना की शुरुआत उस वक्त हुई थी, जब भारत की पेट्रोल टीम रिज के दूसरी तरफ ये देखने गई थी कि चीन ने कहां तक घुसने की हिम्मत दिखाई है। इसके बाद ये जवान वहां से वापस आ गए थे। इसके बाद भारत की नाराजगी और कड़ा रुख इख्तियार करने पर चीन ने वहां से अपने कुछ टैंट और कुछ ऑब्जर्वेशन पोस्ट हटा ली थीं। भारतीय जवानों ने उनके कुछ टावर तोड़ दिए थे और टैंटों को भी नष्ट कर दिया था।
तीन दिन पहले यहां पर जो घटना घटी उस दौरान समझौते के मुताबिक, जवानों के पास हल्के हथियार थे। 1967 के बाद से इस पूरे क्षेत्र में कभी कोई गोली नहीं चली है। दोनों तरफ के जवान यहां पर आने से पहले अपने हथियारों को कंधे पर पीछे रखते हैं।
गलवन घाटी में 15-16 जून की रात हुई हिंसक घटना की परतें अब उखड़ना शुरू हो गई हैं। चीन की चालाकी और उसका झूठ भी अब सामने आने लगा है। सैटेलाइट से मिली तस्वीरों ने चीन के इस झूठ को सामने लाकर रख दिया है। सैटेलाइट से मिली इन तस्वीरों में 9 जून 2020 से 16 जून 2020 के बीच हुए बदलाव को आसानी से देखा जा सकता है। ये तस्वीरें इस बात का सबूत हैं कि किस तरह से चीन के जवानों ने भारतीय सीमा में भारी मशीनरी के साथ प्रवेश किया और फिर भारतीय जवानों के मना करने पर उनसे हाथापाई भी की। इन तस्वीरों में दिखाई दे रही मशीनरी से इस बात का अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद चीनी सैनिकों की मंशा इसकी मदद से नदी का मार्ग अवरुद्ध करना रही होगी।
सैटेलाइट से मिली तस्वीरों पर बात करने से पहले आपको ये भी बता दें कि गलवन समेत पूरे लद्दाख का इलाका बेहद बंजर है। यहां पर बेहदऊंचे और भुरभुरे पहाड़ हैं। गलवन का ये इलाका इसलिए बेहद खास है, क्योंकि यहां से आगे अक्साई चिन शुरू हो जाता है, जो पहले भारत के पास था, लेकिन 1962 के बाद से चीन इस पर अवैध कब्जा जमाए हुए है।
यहां पर दोनों देशों के बीच सहमति के साथ पहले से ही सीमा निर्धारित है। इसी के तहत भारत ये कहता आया है कि चीनी सैनिकों ने अवैध रूप से भारतीय सीमा में प्रवेश किया और फिर सैनिकों पर कंटीले तारों वाले डंडों से हमला किया था। हालांकि, चीन बेहद शातिराना तरीके से भारत के इन दावों को झुठलाता रहा है।
इन तस्वीरों के आधार पर विशेषज्ञों का मानना है कि इनमें गलवन घाटी में हुए बदलाव को साफतौर पर देखा जा सकता है। इसमें मशीनरी के लिए बनाया गया ट्रैक और नदी को पार करने के लिए किए गए इंतजाम भी दिखाई दे रहे हैं। इनमें सुखे और बंजर पहाड़ पर बदलाव को देखा जा सकता है।कैलिफॉर्निया स्थित मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ द ईस्ट एशिया नॉनप्रोलिफरेशन प्रोग्राम के डायरेक्टर जेफरी लुइस का कहना है कि इसमें नदी को नुकसान पहुंचाकर बनाई गई सड़क को साफतौर पर देखा जा सकता है। इन तस्वीरों में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल के दोनों ही तरफ वाहन खड़े दिखाई दे रहे हैं।