निकाय चुनाव को लेकर मायावती का बड़ा दांव, मुस्लिम वोटरों को दिया ये मैसेज

 यूपी के पिछले विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर सिमट गई बसपा यूपी निकाय चुनाव काे कमबैक का बड़ा मौका मान रही है। पार्टी सुप्रीमो मायावती इसके लिए पूरा जोर भी लगा रही हैं।

वह पार्टी के आधार दलित वोटरों के साथ ओबीसी और मुस्लिम वोटरों को जोड़ना चाहती हैं और इसके लिए लगातार मैसेज भी दे रही हैं। हाल में मायावती के कुछ कदमों को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। खासकर उन्होंने प्रयागराज मेयर सीट पर शाइस्ता का टिकट काटने के बावजूद उन्हें अब तक पार्टी से न निकालने का जो फैसला लिया उसे उनकी मुस्लिम समाज को संदेश देने की कोशिश माना जा रहा था। अब उन्होंने मेयर पद के लिए बीएसपी का पहला टिकट सहारनपुर में एक मुस्लिम उम्मीदवार को दिया है तो इसे भी उनकी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।

बता दें कि बीएसपी ने सहारानपुर में पूर्व केन्द्रीय मंत्री काजी रशीद मसूद की पुत्रवधू और इमरान मसूद के भाई की पत्नी को अपना प्रत्याशी बनाया है। मसूद के आवास पर शमसुद्दीन राइन ने प्रेस कांफ्रेन्स करके इसकी जानकारी दी। शमसुद्दीन बीएसपी के उत्तराखंड के प्रभारी हैं। बीएसपी द्वारा घोषित उम्मीदवार खदीजा मसूद इमरान मसूद के चचेरे भाई शाजान की पत्नी हैं। इस बार सहारनपुर के राजनीतिक समीकरण काफी बदले हुए हैं।

बसपा ने अन्य दलों के मुकाबले बाजी मारते हुए मेयर पद पर प्रत्याशी घोषित कर दिया है। जबकि नगर पालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों पर अभी मंथन चल रहा है। बसपा के उत्तराखंड और वेस्ट यूपी प्रभारी शमशुद्दीन राइन ने प्रेस कांफ्रेन्स में दावा किया कि खदीजा मसूद करीब 50 हजार के मतों के अंतर से चुनाव जीतेंगी।

मेयर पद की घोषित की गईं प्रत्याशी खदीजा मसूद सियासी परिवार से हैं। उनके ससुर काजी रशीद मसूद पूर्व केन्द्रीय मंत्री के साथ ही नौ बार सांसद रहे थे। जिले की राजनीति में करीब 40 साल तक काजी रशीद मसूद का दबदबा रहा। साथ ही इमरान मसूद भी पूर्व विधायक के साथ ही मौजूदा समय में बसपा के वेस्ट यूपी संयोजक हैं। खदीजा मसूद के पति शाजान मसूद वर्ष 2009 में कैराना और 2014 में सहारनपुर लोकसभा सीट पर सपा के सिंबल पर चुनाव भी लड़ चुके हैं।

गौरतलब है कि वर्ष 2017 में बसपा महज दो हजार मतों से पीछे रहकर दूसरे नंबर आई थी। मेरठ और अलीगढ़ मेयर सीटों पर बसपा ने जीत दर्ज की थी। जबकि आठ नगर निगमों में बसपा दूसरे नंबर पर रही थी। उन्होंने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि निकाय चुनाव ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से कराए जाएं। यदि बैलेट पेपर से निकाय चुनाव कराए जाते हैं तो प्रदेश भर में बसपा दस मेयर पदों पर जीत दर्ज करेगी।