बंगाल के रण में आर-पार, व्हीलचेयर पर बैठे – बैठे ममता बनर्जी ने खेला ये बड़ा दांव

चुनावी वक्त को देखते हुए टीएमसी की ओर से इसे एक बड़ा कदम माना जा रहा है. बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बंगाल में भी हिन्दू ओबीसी जातियों ने बढ़ चढ़कर भाजपा का समर्थन किया था. ऐसे में ममता बनर्जी विधानसभा चुनाव में इसकी काट खोज रही हैं.

बता दें कि बंगाल की सत्ता में आने के बाद ममता बनर्जी ने सबसे पहले सरकारी नौकरियों में ओबीसी जाति के लिए 17 फीसदी आरक्षण का प्रावधान किया था. बंगाल सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, 2011 से अबतक करीब 37 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट बांटे जा चुके हैं. एक्सपर्ट्स की मानें, तो महिष्य समुदाय के वोटरों का बंगाल की कई सीटों पर बड़ा प्रभाव है. करीब पचास विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां इनका असर सीधे तौर पर पड़ता है.

सूत्रों की मानें, तो तृणमूल कांग्रेस की तरफ से करीब चार जातियों को ओबीसी कोटे में शामिल करने का वादा किया जा सकता है. इनमें महिष्य, तामूल, साहा और तेली जातियों को शामिल किया जा सकता है.

बता दें कि महिष्य समुदाय का पूर्वी मेदिनीपुर इलाके में बड़ा दबदबा है. खास बात ये है कि ममता बनर्जी जिस नंदीग्राम सीट से इस बार चुनावी मैदान में हैं, वहां पर भी इस जाति के वोटरों की संख्या काफी अधिक है.

पश्चिम बंगाल की चुनावी जंग जीतने के लिए तृणमूल कांग्रेस बुधवार को अपने मेनिफेस्टो का ऐलान कर सकती है. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के घायल होने के कारण ये पहले ये कार्यक्रम टल गया था.

इस बार भी टीएमसी की तरफ से कुछ बड़ी योजनाओं का ऐलान किया जा सकता है, लेकिन इस बार ममता बनर्जी कुछ विशेष जातियों को लेकर भी बड़ा दांव चल सकती हैं.