ममता बनर्जी सरकार की कलकत्ता हाइकोर्ट में हुई किरकिरी , मांगनी पड़ी माफी

कलकत्ता उच्च न्यायालय में जस्टिस तपोब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस शुभाशीष दासगुप्ता की खंडपीठ को बंगाल सरकार के वकील पी चिदंबरम ने बताया कि राखाल बेरा को किसी राजनीतिक मकसद से गिरफ्तार नहीं किया गया था.

 

गलतफहमी हो गयी थी. खंडपीठ ने इसके लिए राज्य को कड़ी फटकार लगायी. राज्य के महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि निचली अदालत के आदेश पर राखाल बेरा को फिर से गिरफ्तार किया गया था.

बुधवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जब माफी की मांग की, तब कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि राखाल को बिना कोर्ट की अनुमति के गिरफ्तार नहीं किया जायेगा. साथ ही उन्हें तत्काल रिहा करने को कहा गया.

अदालत ने राज्य सरकार को इस मामले में एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 अगस्त को होगी.

बावजूद इसके, पुलिस ने उसे दोबारा गिरफ्तार कर लिया. साथ ही कलकत्ता हाइकोर्ट की एकल पीठ के फैसले को बंगाल सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी. यहीं सुनवाई के दौरान बंगाल सरकार के वकील को कोर्ट में माफी मांगनी पड़ी. साथ ही उन्होंने इस बात से अनभिज्ञता जाहिर की कि राखाल बेरा को फिर से गिरफ्तार किया गया है.

शुभेंदु अधिकारी के करीबी राखाल बेरा को नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था. पिछले दिनों कलकत्ता हाइकोर्ट ने उसे रिहा करने के आदेश दिये थे.

उसे रिहा करने के तुरंत बाद किसी और मामले में उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि, हाइकोर्ट ने कहा था कि कोर्ट की अनुमति के बगैर कथित आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया जायेगा.

पश्चिम बंगाल पुलिस की एक कार्रवाई की वजह से ममता बनर्जी सरकार की कलकत्ता हाइकोर्ट में किरकिरी हो गयी. ममता बनर्जी की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस सरकार को अदालत में माफी मांगनी पड़ी. मामला नंदीग्राम के विधायक और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता शुभेंदु अधिकारी के करीबी से जुड़ा है.