महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले मे हुआ ऐसा, जब्त हुईं यह गाड़ियां

पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रियल एस्टेट कंपनी एचडीआईएल के मालिकों की 12 लग्जरी गाड़ियों को जब्त कर लिया है. वहीं दूसरी तरफ कंपनी के 450 खरीदारों ने पीएम नरेंद्र मोदी से प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करने को बोला है.

जब्त हुईं यह गाड़ियां

ईडी ने जिन गाड़ियों को जब्त किया है उनमें दो रॉल्स रॉयस, दो रेंज रोवर  एक बेंटली शामिल है. मुंबई के छह स्थानों पर छापे के बाद एचडीआईएल के चेयरमैन राकेश वाधवान  उनके बेटे सारंग वाधवान की ये कारें जब्त की गईं.

राकेश वधावन  उसके बेटे सारंग को नौ अक्तूबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया है. कंपनी की 3500 करोड़ की संपत्ति भी जब्त कर ली गई है. एक वरिष्ठ ऑफिसर ने बृहस्पतिवार को बताया कि आरोपियों से गहन पूछताछ के बाद उनकी गिरफ्तारी की गई.

पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार

उधर एचडीआईएल के मुलुंद में बन रहे प्रोजेक्ट के 450 खरीदारों ने प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी को लेटर लिखकर के दखल देने की मांग की है. इन ग्राहकों का अगुवाई कर रही द व्हिसपरिंग टावर्ट फ्लैट ऑनर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने एक सितंबर को लेटर लिखा था. इसके मुताबिक घर खरीदार 350 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुके हैं लेकिन नौ वर्ष से प्रोजेक्ट अटका हुआ है.

एचडीआईएल ने 46 मंजिला टावर का प्रोजेक्ट 2010 में लॉन्च किया था. लेकिन पिछले नौ वर्ष में कंपनी ने केवल 18 फ्लोर तैयार किए हैं.  एचडीआईएल ने प्रोजेक्ट के लिए इलाहाबाद बैंक, जेएंडके बैंक  सिंडीकेट बैंक से 175 करोड़ का लोन लिया था. 525 करोड़ रुपये अलग से जुटाए. लेकिन, हमें लगता है कि राशि का हेर-फेर कर दिया गया. एचडीआईएल पर पीएमसी बैंक का 6,500 करोड़ का लोन है.

पूर्व एमडी भी गिरफ्तार

पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) जॉय थॉमस को भी मुंबई पुलिस ने अरैस्ट कर लिया है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नियुक्त प्रशासक की शिकायत के आधार पर मुंबई पुलिस ने पिछले सप्ताह बैंक अधिकारियों के विरूद्ध धोखाधड़ी, जालसाजी  आपराधिक साजिश का मुद्दा दर्ज किया था.

बैंक को हुआ 4355.46 का नुकसान

प्रारंभिक जाँच के आधार पर पुलिस ने कहा, बैंक को 2008 से अब तक करीब 4355.46 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. पुलिस ने एफआईआर में पूर्व चेयरमैन वारयम सिंह, प्रबंध निदेशक जॉय थॉमस  अन्य वरिष्ठ अधिकरियों समेत एडीआईएल के प्रबंध निदेशक राकेश वधावन के विरूद्ध मुद्दा दर्ज किया है.

इसमें बोला गया कि एडीआईएल के प्रमोटर्स ने कथित तौर पर बैंक प्रबंधन के साथ साठगांठ कर बैंक की भांडुप शाखा से लोन लिया. इसके बाद बैंक अधिकारियों ने लोन अदायगी के अतिरिक्त इस लोन को एनपीए के रूप में भी दर्ज नहीं किया  जानबूझकर इसकी जानकारी भारतीय रिजर्व बैंक से भी छिपाई. इसके अतिरिक्त उन कंपनियों के फर्जी खाते भी बनाये गए जिन्होंने छोटी रकम उधार ली. नियामक निगरानी से बचने के लिए बैंक की फर्जी रिपोर्ट भी तैयार की गई. सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय अब आरोपियों की कथित दागी संपत्ति के साक्ष्य तलाश रही है ताकि उन्हें धनशोधन रोधी कानून के तहत संलग्न किया जा सके.