दीपक की ज्योति से जीवन में आएगी खुशियों की रोशनी, बस दीप जलाते समय न करें ये गलती

हिंदू धर्म में किसी भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान के समय दीपक जलाने का महत्व है और यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. पूजा में दीपक जलाने को लेकर शास्त्रों में कई नियम और लाभ बताए गए हैं.

पूजा में भगवान से समक्ष दीप जलाने के लिए विभिन्न विधियां और नियम भी निर्धारित है, जिसका पालन सभी को करना चाहिए. पूजा में आटे और पीतल लेकर मिट्टी के दीपक जलाए जाते हैं. तो वहीं इसे जलाने के लिए घी से लेकर तेल का भी प्रयोग किया जाता है. दीपक जलाने की दिशा के बारे में बताया गया है. इन नियमों को ध्यान में रखते हुए अगर आप पूजा में दीप जलाएंगे तो आपकी पूजा जरूर सफल होगी. आइए जानते हैं, पूजा में दीपक जलाने से जुड़े जरूरी नियमों के बारे में.

दीपक जलाने के लाभ (Benefits of Lighting Lamp)

वास्तु दोष दूर होता है: घी का दीपक जलाने से घर में मौजूद नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ने लगता है. साथ ही दीपक जलाने से घर पर सुख-समृद्धि का वास होता है. पुराणों में बताया गया है कि, दीपक जलाने का अर्थ है- जीवन के अंधकार को प्रकाश से दूर करना.
लक्ष्मी जी का वास होता है: मान्यता है कि, तुलसी के पास और मुख्य द्वार पर दीप जलाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और ऐसे घर पर उनका वास होता है. दीप जलाने से दरिद्रता, रोग और कष्ट भी दूर होते हैं.
राहु का बुरा प्रभाव दूर होता है: गोधूलि बेला में घर मुख्य द्वार के दाहिनी ओर दीप जलाने से राहु का नकारात्मक या बुरा प्रभाव दूर होता है.
वातावण शुद्ध होता है: दीप जालने के धार्मिक लाभ के साथ ही वैज्ञानिक लाभ भी हैं. विज्ञान के अनुसार, दीपक जलाने से आसपास के कीटाणु नष्ट होते हैं और इससे वातावरण शुद्ध होता है.
दीपक जलाने की दिशा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा-पाठ के दौरान कभी भी दक्षिण दिशा की ओर दीपक नहीं जलाना चाहिए. क्योंकि यह यमराज की दिशा मानी जाती है. उत्तर दिशा की ओर दीपक जलाना सबसे शुभ माना जाता है. दीपक की लौ पूर्व दिशा में रखना भी शुभ होता है. वहीं पश्चिम दिशा में भी आप दीपक जला सकते हैं. लेकिन किसी भी हाल में दक्षिण दिशा में दीप जलाने से बचें.

किस दीपक का किस पूजा में करें प्रयोग

आटे का दीपक: शास्त्रों के अनुसार, मासिक या किसी खास मुहूर्त पर की जाने वाली पूजा में आटे से बना दीपक जलाना चाहिए. इसे साधना और सिद्धि के समय भी जलाया जाता है. आटे का दीप कर्ज मुक्ति, नौकरी-व्यापार में तरक्की, संतान प्राप्ति, गृह क्लेश से मुक्ति और विवाह में चल रही परेशानियों को दूर करने आदि लिए जलाया जाता है.
मिट्टी का दीपक: मिट्टी का दीपक सबसे शुभ और पवित्र होता है. आप नियमित पूजा-पाठ से लेकर विशेष अनुष्ठान आदि में भी इसे जला सकते हैं. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि, एक बार जले मिट्टी के दीपक का दोबारा प्रयोन न करें.
विभिन्न धातु के दीपक: लोहे धातु में शनि, पीतल में बृहस्पति, चांदी में शुक्र और चंद्रमा, तांबे में सूर्य व मंगल, कांसे में बुध और सोने धातु में सूर्य व गुरु का वास होता है. अलग-अलग कामनाओं के लिए इन धातुओं से बने दीप जलाए जाते हैं.
दीपक जलाने के मंत्र

“शुभम् करोति कल्याणं, आरोग्यं धन संपदाम्। शत्रु बुद्धि विनाशाय, दीप ज्योति नमोस्तुते।।”
इसका अर्थ है “जो शुभ करता है, कल्याण करता है, आरोग्य रखता है, धन संपदा करता है और शत्रु बुद्धि का विनाश करता है, ऐसे दीप यानी दीपक की रोशनी को मैं नमन करता हूं.”