पितृपक्ष मे जरूर करें ये काम, जान ले कुछ विशेष बातें

पितृपक्ष शुरू हो चुका है. श्राद्ध से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं. मगर ये बातें श्राद्ध करने से पहले जान लेना बहुत जरूरी है, क्योंकि कई बार विधि पूर्वक श्राद्ध न करने से पितृ श्राप भी दे देते हैं. आइए जानते है ज्योतिष एवं रत्न विशेषज्ञ संजीत कुमार मिश्रा से श्राद्ध से जुड़ी कुछ विशेष बातें…

श्राद्धकर्म के नियम

1- श्राद्धकर्म में गाय का घी, दूध या दही काम में लेना चाहिए. यह ध्यान रखें कि गाय को बच्चा हुए दस दिन से अधिक हो चुके हैं. दस दिन के अंदर बछड़े को जन्म देने वाली गाय के दूध का उपयोग श्राद्ध कर्म में नहीं करना चाहिए.

2 – श्राद्ध में चांदी के बर्तन का उपयोग व दान पुण्यदायक तो है ही राक्षसों का नाश करने वाला भी माना गया है. पितरों के लिए चांदी के बर्तन में सिर्फ पानी ही दिए जाए तो वह अक्षय तृप्तिकारक होता है. पितरों के लिए अर्घ्य, पिण्ड और भोजन के बर्तन भी चांदी के हों तो और भी श्रेष्ठ माना जाता है.

3 – श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाते समय परोसने के बर्तन दोनों हाथों से पकड़ कर लाने चाहिए, एक हाथ से लाए गए अन्न पात्र से परोसा हुआ भोजन राक्षस छीन लेते हैं.

4 – ब्राह्मण को भोजन मौन रहकर एवं व्यंजनों की प्रशंसा किए बगैर करना चाहिए, क्योंकि पितर तब तक ही भोजन ग्रहण करते हैं, जब तक ब्राह्मण मौन रह कर भोजन करें.

5 – जो पितृ शस्त्र आदि से मारे गए हों उनका श्राद्ध मुख्य तिथि के अतिरिक्त चतुर्दशी को भी करना चाहिए. इससे वे प्रसन्न होते हैं. श्राद्ध गुप्त रूप से करना चाहिए. पिंडदान पर साधारण या नीच मनुष्यों की दृष्टि पडने से वह पितरों को नहीं पहुंचता.

6 – श्राद्ध में ब्राह्मण को भोजन करवाना आवश्यक है, जो व्यक्ति बिना ब्राह्मण के श्राद्ध कर्म करता है, उसके घर में पितर भोजन नहीं करते, श्राप देकर लौट जाते हैं. ब्राह्मण हीन श्राद्ध से मनुष्य महापापी होता है.

7 – श्राद्ध में जौ, कांगनी, मटर सरसों का उपयोग श्रेष्ठ रहता है. तिल की मात्रा अधिक होने पर श्राद्ध अक्षय हो जाता है. वास्तव में तिल पिशाचों से श्राद्ध की रक्षा करते हैं. कुशा (एक प्रकार की घास) राक्षसों से बचाते हैं.