कोरोना वायरस पर चीन के बचाव में उतरा ये देश, कहा अगर कोई…

संस्थान के मुताबिक अनुसंधान से पता चला है कि फ्रांस में फरवरी के अंत से कोविड-19 का प्रकोप आने लगा, लेकिन वायरस चीनियों से नहीं आया था. फरवरी के अंत में फ्रांस में जो पुष्ट मामले हैं.

 

उन सभी ने चीनियों से कोई संपर्क नहीं किया था या वे चीन नहीं गए थे. फ्रांस के कोविड-19 का जीन क्रम वुहान के जीन क्रम से कोई संबंध नहीं है. उत्तरी फ्रांस कोविड-19 का सब से गंभीर क्षेत्र है. अनुसंधानकतार्ओं ने कहा कि जांच से पता चला है कि उत्तरी फ्रांस का वायरस इटली से भी नहीं आया है.

अभी फ्रांस में कोविड-19 के वायरस के स्रोत आयातित समय तय नहीं किया जा सकता है. इसके बावजूद यह निश्चित है कि कोविड-19 का वायरस उत्तरी फ्रांस में लम्बे समय के लिए अस्तित्व में था.

अनुसंधानकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि वायरस संभवत: फरवरी से पहले ही यूरोपीय देशों में फैलने लगा था, लेकिन चूंकि अधिकांश हल्के मामले थे, इसलिए लम्बे समय में लोगों में इसका पता नहीं चला.

इसलिए विभिन्न देशों को बगैर लक्षण वाले मामलों की निगरानी को मजबूत करना चाहिए. गौरतलब है कि फ्रांस का बास्द अनुसंधान संस्थान एक निजी अनुसंधान केंद्र है, जो विश्व के जीव विज्ञान, सूक्ष्म जीव विज्ञान, बीमारियों टीकों के क्षेत्र में अहम स्थान रखता है.

कोरोना संक्रमण  के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराने वाले देशों की कड़ी एक तरफ जहां अमेरिका ब्रिटेन हद दर्जे तक मुखर हैं. ऐसे में चीन ने उन देशों विशेषज्ञों की लामबंदी शुरू कर दी है, जो इस खिलाफत भरे माहौल में उसके लिए समर्थन जुटा सके.

इस कड़ी में अब फ्रांस  के बास्द अनुसंधान संस्थान ने कोरोना वायरस के लीक होने के कथित आरोपों के बीच बीजिंग प्रशासन को क्लीन चिट दी है. अनुसंधान संस्थान ने स्पष्ट कहा है कि फ्रांस में कोविड-19 का वायरस चीन  इटली से नहीं आया है.