कोरोना वायरस की वैक्सीन को आने में लगेगा बस इतना समय, इस देश में तेजी से चल रहा है काम

विशेषज्ञों के मुताबिक, खुद ऑक्सफोर्ड के रिसर्चर्स नहीं जानते हैं कि यह वैक्सीन कितनी कारगर होगी। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जेनर इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर आड्रियान हिल ने कहा कि उनका लक्ष्य सितंबर तक किसी भी कीमत पर टीके के 10 लाख डोज तैयार करना है।

 

उन्होंने कहा कि एक बार इसके असर के बारे में बता चल जाए तो उसे बाद में भी बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सोशल डिस्टैंसिंग से सिर्फ बचा जा सकता है, इस महामारी को खत्म करने के लिए करोड़ों डोज की जरूरत पड़ने वाली है।

जेनर इंस्टीट्यूट के मुताबिक, 2 महीनों में यह पता चल जाएगा कि वैक्सीन कोरोना वायरस के संक्रमण को कितना कम कर पाती है।

इंग्लैंड सरकार के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर सर पैट्रिक वैलेस ने कहा कि 21 प्रोजेक्ट चल रहे हैं और जरूरी नहीं कि सभी सफल हों।

उन्होंने कहा कि सभी प्रोजेक्ट्स को प्रोत्साहन दिया जा रहा है और कहा नहीं जा सकता कि कब कोई असरदार दवा लेकर आ जाए।

आपको बता दें कि वैक्सीन तैयार करने का प्रोटोकॉल 12 से 18 महीने का होता है, लेकिन महामारी के कहर को देखते हुए इस बार प्रोटोकॉल का टूटना तय लग रहा है।

पूरी दुनिया में तबाही मचाने वाले कोरोना वायरस की वैक्सीन सितंबर तक उपलब्ध हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इंग्लैंड में वैक्सीन को बनाने के लिए 21 नए रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं।

इन रिसर्च प्रोजेक्ट्स को अंजाम तक पहुंचाने के लिए इंग्लैंड की सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड की रकम मुहैया कराई है। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में सितंबर तक 10 लाख वैक्सीन की डोज बनाने की तैयारी चल रही है और कहा जा रहा है कि तय प्रोटोकॉल से पहले ही इस टीके की ह्यूमन टेस्टिंग की जाएगी।