कोरोना को ख़त्म करने के लिए भारतीय वैज्ञानिक ला रहे ये डिवाइस, कहा रिसर्च में सामने आया…

कोरोना वायरस की जांच के समय चिकित्साकर्मियों के संक्रमित होने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। ऐसे में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की जा रही इस डिवाइस से संक्रमण का खतरा बहुत कम हो जाएगा।

 

बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान (IISC) के वैज्ञानिकों ने सांस और खांसी से पैदा होने वाली आवाज की तरंगों से कोरोना को जांचने के लिए एक डिवाइस बना रही है। इस डिवाइस को मंजूरी मिलने के बाद इससे कोरोना मरीजों की जांच की जाएगी।

इस उपकरण की मदद से जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण का खतरा कम होगा। जांच के नतीजे भी जल्द सामने आ सकते हैं। IISC के वैज्ञानिक ध्वनि विज्ञान की मदद से कोरोना वायरस कोविड-19 बीमारी के संक्रमण का बायोमार्कर पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं।

वैज्ञानिक जांच के लिए इस बायोमार्कर की मात्रा निर्धारित करना है। जैसे ही बायोमार्कर तय हो जाएगा. यह पता चल सकेगा कि बीमार आदमी की सांर और खांसी की आवाज सामान्य और सेहतमंद व्यक्ति से कितनी अलग है।

IISC के वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे में इसकी की सरल, किफायती और तेजी से जांच किया जाना बेहद जरूरी हो गया है। IISC के 8 वैज्ञानिकों की एक टीम इस डिवाइस को विकसित करने में दिन रात जुटी हुई है।

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। इस खतरनाक वायरस ने अब तक 1 लाख 37 हजार लोगों की जान ले ली है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इस जानलेवा वायरस पर दिन रात रिसर्च कर रहे हैं।

भारत में भी कोरोना वायरस की वैक्सीन से लेकर इसको पहचानने तक के लिए रिसर्च की जा रही है। भारतीय वैज्ञानिक इस समय एक ऐसी डिवाइस को विकसित करने में लगे हैं जो कोरोना वायरस को काफी दूर से ही पहचान लेगा।