कृषि कानून वापस न होने पर किसानो ने ख़राब की अपनी फसल , चला दिया ट्रैक्टर

इस बीच आगामी गेहूं की फसल के सीजन को देखते हुए अब खटकड़ टोल पर किए जा रहे आंदोलन पर किसान शिफ्टों में धरने पर आएंगे। हर दिन 15 गांवों के किसानों के धरने पर आने की रणनीति तय की हुई है।

धरने में भाकियू के जिला अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी भी शामिल हुए। चढूनी ने कहा कि जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाएंगे तब तक धरना ख़त्म नहीं होगा।

इस दौरान राम मेहर के परिवार की महिलाओं के अलावा बड़ी संख्या में किसान भी खेत में पहुंचे थे। दस एकड़ की खेतीबाड़ी करने वाले राम मेहर ने मीडिया को बताया कि यदि फसल को पकाव की तरफ ले जाता हूं .

तो खर्च अधिक बढ़ेगा और आगे भाव भी सही मिलने की कोई गारंटी नहीं है। उन्होंने बताया कि फसल के भंडारण करने का उसके पास कोई साधन मौजूद नहीं है।

राम मेहर ने बताया कि इससे अच्छा है कि फसल को पकने से पहले ही तबाह कर दिया जाए, ताकि नुकसान से बचा जा सके और यदि फसल पकने पर उसे जलाते हैं तो वायु प्रदूषण होगा और जमीन की उर्वरता भी ख़त्म हो जाएगी। साथ ही अवशेष फूंकने पर सरकार के कानूनी दायरे में आएंगे।

केंद्र द्वारा तीन नए कृषि कानूनों को वापस न लेने से खफा हरियाणा के जींद जिले के एक किसान ने अपनी दो एकड़ भूमि पर खड़ी गेहूं की फसल को ट्रैक्टर चलाकर नष्ट कर दिया।

जींद जिले के गुलकनी गांव के रहने वाले राम मेहर रविवार को ट्रैक्टर लेकर अपने खेत में पहुंचा और दो एकड़ में लगी फसल पर ट्रेक्टर चला दिया।