दिल्ली में एक महीने बाद चुनाव होने वाले हैं, लेकिन यह बोलना बहुत ज्यादा कठिन है कि इस त्रिकोणीय मुकाबले में सत्ता की चाबी किसके हाथ लगेगी।
एक तरफ कांग्रेस पार्टी प्रदेश में अपनी सियासत बचाने की जद्दोजहद में है तो दूसरी ओर भाजपा 22 वर्ष बाद दिल्ली की कुर्सी पर काबिज होने का सपना देख रही है। हालांकि, विधानसभा चुनाव के केन्द्र में आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल हैं। वह 2015 में भ्रष्टाचार-मुक्त पारदर्शी सरकार बनाने के वादे पर अप्रत्याशित ढंग से 70 में से 67 सीटें जीतकर सत्ता में आए थे।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आप ने जनता को सपना दिखाया कि वह अपने चुने प्रतिनिधियों से जवाब मांग सकती है। केजरीवाल की बात ‘सरकार में पैसे की नहीं, नीयत की कमी है’ जनता के मन में बैठ गई। उन्हें लगा कि आम आदमी पार्टी ठीक अर्थ में जनता के लिए, जनता द्वारा व जनता की सरकार है।
इस पार्टी का जन्म 2012 में लोकपाल आंदोलन के दौरान हुआ था। इसने पिछले सात सालों में खुद को कार्यकर्ताओं वाली सियासी पार्टी के चोले में ढाल लिया है। हालांकि, 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में दमदार चुनौती वाले दल के रूप में उभरने के बाद अब आप दिल्ली तक ही सिमट चुकी है। यह सभी विधानसभा चुनावों में भाग लेती है, लेकिन पार्टी बमुश्किल अपने सहयोगियों की सीटों की संख्या या असर में कोई इजाफा कर पाती है। इसने हालिया हरियाणा विधानसभा में भाग लिया था, जहां पार्टी का प्रदर्शन बहुत ज्यादा निराशाजनक था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब एक महीने बाद AAP के उन सपनों की असल इम्तिहान होगी, जो पार्टी ने दिल्ली वालों को दिखाया था। यहां पराजय का मतलब केजरीवाल को पार्टी को एकजुट रखने के लिए बहुत ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी, जहां AAP अन्य दोनों पार्टियों के मुकाबले नयी है। पांच सालों के कार्यकाल के बाद भी केजरीवाल की लोकप्रियता बरकरार है, जिसे नकारा नहीं जा सकता है। अब आप के रणनीतिकार इसी को भुनाने की प्रयास कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, आप का पूरा प्रचार अभियान केजरीवाल के इर्द-गिर्द ही बुना जा रहा है।
पिछले सप्ताह पार्टी ने अपना पहला चुनावी नारा- अच्छे बीते पांच साल, लगे रहे केजरीवाल जारी किया था, जिसके केन्द्र में आप संयोजक ही थे। आप धीरे धीरे दिल्ली में ‘केजरीवाल बनाम कौन’ का मामला उछालकर भाजपा पर सीएम उम्मीदवार का नाम जाहिर करने का दबाव बनाएगी। आप के वरिष्ठ रणनीतिकार ने इकनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘केजरीवाल के मुकाबले विपक्ष ने किसी चेहरे का ऐलान नहीं किया है. हम इस वस्तु को जनता के उछालकर लाभ लेने की प्रयास करेंगे। ’