अभी – अभी इस नेता ने मुसलमानों के बीच…, देख सरकार के लिए बढ़ा खतरा

भारत की सर्वोच्च न्यायालय उच्चतम न्यायालय ने जनहति में कई निर्णय सुनाए है इसी कड़ी में उच्चतम न्यायालय ने मदरसा सेवा आयोग कानून, 2008 को ठीक ठहराते हुए प्रदेश सरकार के हक में निर्णय दिया है

 

इस निर्णय से प्रदेश के वित्तविहीन मान्यता प्राप्त मदरसों में प्रदेश सरकार को शिक्षकों, लाइब्रेरियन  चतुर्थ श्रेणी कर्मियों की नियुक्ति का अधिकार मिल गया है इससे सरकार को नियुक्ति के जरिये अल्पसंख्यक वर्ग में पकड़ बनाने की सहूलियत मिली है लेकिन दूसरी तरफ मदरसा संचालकों के विरोध का खतरा भी उत्पन्न हो गया है इसके साइड इफेक्ट क्या होंगे यह तो वक्त बताएगा, लेकिन यह तय है कि इस जीत का श्रेय ममता सरकार खुलकर लेने से बच रही है

अपने बयान में न्यायालय ने बोला है कि जो सरकारें या संगठन अल्पसंख्यक संस्थानों की सहायता करते हैं, उनके पास अब यह अधिकार होगा कि वे न केवल भावी शिक्षकों की सिफारिश कर सकेंगे बल्कि उन्हें सीधे नियुक्त भी कर पाएंगे

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आसन्न निकाय चुनाव  2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए ममता सरकार मुस्लिम वोट बैंक को साधने में जुटी है इस निर्णय के जरिये ममता को पढ़े-लिखे मुसलमानों के बीच पैठ बढ़ाने में मदद मिल सकती है हालांकि ऐसे मदरसों के रसूखदार प्रबंधकों  संचालकों के विरोध का भी खतरा उत्पन्न हो गया है चूंकि गोलबंद होकर ये प्रबंधक उच्चतम न्यायालय तक सरकार के विरूद्ध पैरवी कर रहे थे तो अब आगे सियासी मोर्चे पर भी उनका विरोध जारी रहेगा