यूपी में अब शुरू होगा ये नया अभियान, घर-घर ढूंढे जाएंगे…

अगर किसी को दो सप्ताह से अधिक समय तक खांसी आ रही है, शाम को पसीने के साथ बुखार होता है, तेजी से वजन घट रहा है, सीने में दर्द है, भूख नहीं लगती है और दवा लेने के बावजूद खांसी स्थायी तौर पर नहीं रुक रही है तो यह टीबी का लक्षण हो सकता है।

 

ऐसे लक्षण वाला व्यक्ति मिलने पर उसके घर के सामने स्टीकर लगाया जाएगा और उसकी सूचना ब्लॉक मुख्यालय को दी जाएगी। (The Treatment Of Tuberculosis)

जिला क्षय रोग अधिकारी ने बताया कि दस्तक अभियान के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा टीबी रोगी ढूंढे जा सकेंगे क्योंकि इस अभियान का दायरा जनपद के हर घर तक होगा। शासन से प्राप्त दिशा-निर्देशों के अनुसार दस्तक अभियान (The Treatment Of Tuberculosis) में कोविड-19 प्रोटाकॉल का पालन करते हुए आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के रोगियों को ढूंढने के साथ-साथ टीबी के लक्षण वाले रोगियों को ढूंढेगी।

उनकी सूचना के आधार पर निर्धारित जांच करवा कर टीबी रोग की पुष्टि होने पर निःशुल्क इलाज करवाया जाएगा। वर्ष 2017 से ही दस्तक अभियान (The Treatment Of Tuberculosis) चलाया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य दिमागी बुखार की रोकथाम के लिए बुखार के रोगियों को ढूंढना है। पहली बार इसमें टीबी भी जोड़ा गया है।

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि अभियान (The Treatment Of Tuberculosis) के दौरान लक्षणों के आधार पर आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता संभावित टीबी रोगियों का पता लगाएंगी और जहां भी संभावित रोगी मिलेंगे वहां स्टीकर लगाया जाएगा। ऐसे रोगियों की जानकारी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, एएनएम के माध्यम से ब्लॉक मुख्यालय को प्रेषित करेंगी।

वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए इसे दस्तक अभियान (The Treatment Of Tuberculosis) का भी हिस्सा बनाया गया है। पहली बार दस्तक अभियान के दौरान घर-घर टीबी मरीज ढूंढे जाएंगे। यह अभियान 10 मार्च को शुरू होगा और 24 मार्च तक चलेगा।