अभी अभी सामने आई पाकिस्तान को दहलाकर रख देने वाली यह बड़ी खबर बनेगी…

पश्चिमी गुजरात के नालिया और राजस्थान के जोधपुर जिले में स्थित फलौदी एयरबेस पर तेजस की तैनाती की पूरी तैयारी हो चुकी है। सामरिक दृस्थी के लिहाज़ से गुजरात के रण ऑफ़ कच्छ और जोधपुर के फलौदी एयरबेस बड़े और सामरिक एयरबेस है।

 

ऐसे में तेजस की तैनाती से पाकिस्तान को जवाबी कार्रवाई के दौरान संभालने का वक़्त तक नहीं मिलेगा। एक स्क्वाड्रन में कम से कम 18 विमान होते हैं, मतलब 18 या इसे अधिक लड़ाकू विमान इन दोनों एयरबेस पर चौबीसों घंटे तैनात रहकर पाकिस्तान की हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार रहेंगे। कहा जा रहा है कि HAL से ये दोनों एयरबेस मार्क 1 A तेजस खरीदने जा रहा है, जिनसे नए स्क्वाड्रन बनेंगे।

वैसे साल 2016 में सबसे पहले बंगलुरु में तेजस की स्क्वाड्रन बनी थी। उसके बाद अभी तमिलनाडु के सुलुर में फ्लाईंग ड्रेगर नाम से मशहूर स्क्वाड्रन नंबर 45 में 8 तेजस तैनात है। तेजस को फलौदी एयरबेस में भी लाने से पहले तमिलनाडु के इसी सुलुर एयरबेस से कई बार यहां ट्रायल के लिए तेजस को लाया गया था और ये तेजस पश्चिमी हवाई समा पर जमकर उड़ान भी भर चुके हैं।

राजस्थान के जोधपुर स्थित फलौदी एयरबेस पर अब स्वदेशी लाईट कोम्बेक्त एयरक्राफ्ट ‘तेजस’ की स्क्वाड्रन को तैनात किया जाएगा। इसके लिए इस एयरबेस को और अधिक सक्षम और तकनीकी युक्त बनाया जा रहा है, ताकि यहां पर तेजस की स्क्वाड्रन को तैनात कर पकिस्तान के हर नापाक कोशिशि का जवाब देने में लगने वाले वक़्त को और भी कम किया जा सके।

राजस्थान में वायुसेना के चार बड़े एयरबेस हैं, जिनके जरिए राजस्थान से लगती पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के उस पार से जमीं और हवाई मार्ग पर पैनी निगाह रखी जाती है। लेकिन अब पाकिस्तान को दहलाकर रख देने वाली एक और बड़ी खबर सामने आई है।

2458 किलो फ्यूल लेकर यह 50 हज़ार फ़ीट तक उडान भर सकता है।

महज 460 यानी आधे किलोमीटर से भी कम दूरी वाले मीटर रनवे की दूरी से उड़ान भरने में सक्षम।

नलिया और जैसलमेर में हाल ही में 6 तेजस विमानों का ट्रायल भी हो चुका है। मिग शेरनी के विमान फेज़ आउट होने से पश्चिमी सीमा पर संभावित खतरे को देखते हुए इन स्वदेशी लड़ाकू विमानों को यहां तैनात किए जाने का फैसला हुआ है।

तेजस 2200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से लक्ष्‍य की ओर लगातार बढ़ सकता है।

6560 किलोभार वाले इस लड़ाकू विमान को दुनिया का सबसे हल्का लड़ाकू विमान भी मना जाता है।