चीन को लगा बड़ा झटका, 24 घंटे के अंदर इस देश ने शुरू किया…

देश में प्रतिभाओं, प्रौद्योगिकी, उद्यमशीलता और एपीआई के अन्य अवयवों की कोई कमी नहीं है। बंद पड़ी इकाइयों को राजकोषीय मदद के साथ पूंजीगत सब्सिडी, दो साल तक ईएमआई में छूट और बिना ब्याज कर्ज देकर एपीआई निर्माण के लिए फिर से शुरू किया जा सकता है।

 

उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में पहल शुरू कर दी है। अभी हम एपीआई के लिए आयात पर निर्भर हैं और इसके लिए प्रोत्साहन देने की घोषणा की जा चुकी है।

ड्रग पाक बनाने के लिए सरकार दस हजार करोड़ के फंड की पहले ही घोषणा कर चुकी है। वैसे विशेषज्ञों का मानना है कि तत्काल लाभ के लिए बंद इकाइयों को शुरू करना ही सबसे बड़ा विकल्प है।

अभी तक की स्थिति यह है कि एपीआई का सबसे बड़ा निर्यातक चीन दुनिया भर के बाजारों पर कब्जा जमाए बैठा है। दुआ का कहना है कि दुनिया के 55 फीसदी एपीआई बाजार पर चीन का कब्जा है जबकि भारत भी 58 तरह की एपीआई के लिए पूरी तरह चीन पर निर्भर है।

दवाओं का 70 फ़ीसदी हिस्सा चीन से ही आयात किया जाता हैइस कारण मौजूदा माहौल में चीन पर ही दुनिया भर की ज्यादा निर्भरता है जिसे बदलने की कोशिश की जा रही है।

चीन को झटका देने के लिए सरकार देश की सबसे पुरानी सरकारी दवा कंपनी हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स लिमिटेड (एचएएल) को फिर से जिंदा करने पर भी विचार कर रही है। कंपनी ने इस साल फरवरी में सरकार से वित्तीय मदद मुहैया कराने की गुजारिश की थी।

कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के बाद चीन के प्रति पूरी दुनिया का नजरिया बदल रहा है। अभी तक दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के निर्यात में चीन दुनिया में नंबर वन है मगर अब चीन के प्रति विभिन्न देशों का भरोसा घटता जा रहा है।

मोदी सरकार कोरोना संकट के बीच चीन के प्रति दुनिया के बदलते इस नजरिए का फायदा उठाने की कोशिश में जुट गई है। बंद पड़ी सक्रिय फार्मा घटक (एपीआई) को दोबारा शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इसके लिए विशेष फंड बनाने के साथ ही इन इकाइयों को कर्ज भुगतान में रियायत देने की भी तैयारी है।

दवा निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन दिनेश दुआ ने बताया कि चीन के प्रति घटते भरोसे का फायदा उठाकर भारत दवाओं के निर्यात से बड़ी कमाई कर सकता है।