अश्वगंधा का इस्तेमाल करने से दूर होती है ये परेशानी

लीवर की समस्या से परेशान रोगी, नियमित रूप से रात को दूध के साथ इसका सेवन करें। इसके एंटीट्यूमर गुणों के कारण, कैंसर जैसे रोग में इसका सेवन वैकल्पिक उपचार में मददगार है।

गले पर निकलने वाले फोड़े (गलगंड) में दर्द और सूजन के लिए अश्वगंधा के ताजा पत्तों को पीसकर, पेस्ट बना कर गले पर लेप लगाना हितकर है। टी.बी. रोग में इसका निर्देशानुसार सेवन लाभकारी है।

महिलाओं में होने वाले (श्वेत प्रदर) ल्यूकोरिया में इसका चूर्ण सौ ग्राम, साथ में सौ ग्राम मिश्री मिला कर सवेरे-शाम गाय के गुनगुने दूध से लेना हितकर है।

गठिया के रोग में एक-एक चम्मच इसके चूर्ध को सवेरे-शाम गर्म दूध या गाय के घी में देशी शक्कर (चीनी नहीं) मिलाकर लेना हितकर है। इसके ताजा सौ ग्राम पत्तों को एक किलो पानी में उबाल कर चार-चार चम्मच दिन में दो बार लेना हितकर है।

अश्वगंधा, खेतों या बगीचों में कहीं भी आसानी से उग जाने वाला पौधा है। इसे असगंध (Ashwagandha) या आकसंड के नाम से भी जानते हैं। इसे बल-शक्तिवर्धक के रूप में तो जाना जाता ही है।

इसके अलावा सूखी खांसी (Dry Cough), पाचन संबंधी परेशानी और महिलाओं के श्वेतप्रदर रोग में भी बहुत लाभकारी है। इसका सेवन डायबिटीज की रोकथाम करने वाला, सूजन हटाने में भी मददगार है। मानसिक तनाव को दूर कर नींद लाने में इसका सेवन लाभकारी है। कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदयाघात के भय को कम करता है।