चीन से निपटने के लिए भारत की तैयारी हुई पूरी, समुद्र में शुरू किया…

भारत ने यह घोषणा की थी कि आस्ट्रेलिया इस नौसेना अभ्यास का हिस्सा होगा, जिसके साथ ही अब यह प्रभावी तरीके से क्वॉड या चतुष्कोणीय गठबंधन के सभी चार सदस्य देशों का अभ्यास हो गया है.

 

चीन, मालाबार अभ्यास को लेकर सशंकित है क्योंकि उसे लगता है कि यह वार्षिक युद्ध अभ्यास हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्रभाव कायम रखने की इन देशों की कोशिश है. एक सैन्य अधिकारी ने कहा, यह अभ्यास मित्र नौसेनाओं के बीच समन्वय को दिखाएगा.

साथ ही यह, समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के प्रति साझा मूल्यों एवं प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है. अधिकारियों ने बताया कि पहले चरण के अभ्यास में जटिल एवं अत्याधुनिक नौसेना अभ्यास होंगे, जिनमें पनडुब्बी रोधी एवं हवाई युद्ध रोधी अभियान होंगे.

साथ ही साथ पश्चिमी नौसेना कमान को कर्नाटक में करवार बेस के साथ अपने उपकरणों और जरूरी सामानों फैलाने के लिए भी कहा गया है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत की ओर से यह प्लानिंग उस सुरक्षा मूल्यांकन के तहत ली गई है.

जिसमें पाकिस्तानी नौसेना के जरिए चीन की PLA नौसेना के बढ़ते खतरे को दिखाया गया है. इस संदर्भ राष्ट्रीय सुरक्षा नियोजकों ने भविष्य में आक्रामक ऑपरेशन के लिए पूर्वी और पश्चिमी समुद्र तटों पर एक ऐसी ब्रिगेड बढ़ाने के बारे में सोच रहे हैं, जो जमीन और पानी, दोनों ही स्थितियों में सक्षम हो.

इस कड़ी में मालाबार नौसेना अभ्यास तीन से छह नवंबर तक अमेरिका, जापान और आस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के साथ विशाखापत्तनम तट के पास बंगाल की खाड़ी में होगा.

इसके साथ ही भारतीय सैन्य योजनाकारों ने पूर्वी नौसेना कमान और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के द्वीप क्षेत्रों और हिंद महासागर में लक्षद्वीप को पीएलए नौसेना के किसी भी खतरे का मुकाबला करने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता देने का फैसला किया है.

पूर्वी लद्दाख (East Ladakh) में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन (India China border) के बीच तनाव की स्थिति अब भी बनी हुई है. एक तरफ चीनी सेना है.

तो दूसरी तरफ पूर्वी लद्दाख में बर्फबारी और तापमान शून्य से भी नीचे जा चुका है. भारतीय सेना को ठंड से बचाने के लिए अमेरिकी मास्क से लैस किया गया है. जमीन पर खुद को मजबूत कर चुका भारत अब समुद्री सुरक्षा को बढ़ा रहा है.