चीन पर इस देश ने की हमले की तैयारी, भारत भी आगे बढ़ने को तैयार…

भारत और अमेरिका दोनों ने ही बीते कुछ समय में चीन के निवेश को अपने यहां पर कई क्षेत्रों में प्रतिबंधित किया है। साथ ही कई चीनी एप को बंद किया है। इसके अलावा भारत ताइवान के साथ आईटी सेक्‍टर में आगे बढ़ रहा है। हालांकि जहां तक भारत की बात है.

 

तो बता दें कि भारत ने ताइवान को एक आजाद राष्‍ट्र के तौर पर मान्‍यता नहीं दी है। इसके बाद भी भारत अब ताइवान के साथ अपनी नजदीकी को बढ़ा रहा है। वहीं अमेरिका की बात करें तो वो इस राह में भारत से कई कदम आगे है।

दोनों ही देश आर्थक के अलावा सैन्‍य क्षेत्र में काफी मजबूती के साथ आगे बढ़ रहे हैं। ये चीन के लिए परेशानी का कारण बना हुआ है। गौरतलब है कि अमेरिकी रक्षा मंत्रलय पेंटागन ने ताइवान को 13500 करोड़ रुपये के हथियार बेचने का निर्णय लिया है, जिसके बाद चीन बुरी तरह से तिलमिलाया हुआ है।

अमेरिका ने इसके तहत जिन चीजों को ताइवान को बेचने की बात की है उसमें मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (एचआइएमएआरएस), स्टैंड ऑफ लैंड अटैक मिसाइल रेस्पांस (एसएलएएस-ईआर), एएस-110 सेंसर पोड, अत्याधुनिक तोपें, ड्रोन, हापरून एंटी-शिप मिसाइल भी शामिल की गई हैं। ये प्रक्रिया सितंबर से ही चल रही थी।

चीन ताइवान को लेकर पहले से ही काफी आक्रामक रहा है। लेकिन अब ताइवान के साथ दूसरे देशों के घनिष्‍ठ होते संबंधों ने उसकी ये आक्रामकता और चिंता, दोनों ही बढ़ा दी हैं।

इस आक्रामकता की सबसे बड़ी वजह दरअसल उसकी विस्‍तारवादी नीति का ही परिणाम है। चीन की यही विस्‍तारवादी नीति और उसकी आक्रामकता दुनिया को अब रास नहीं आ रही है। इसका ही नतीजा है कि दुनिया के कई बड़े देश रूस के बढ़ते कदमों को थामने में लगे हैं। इसमें एक बड़ा नाम अमेरिका का है।

इसके अलावा भारत भी इसमें उसका साथ दे रहा है। इन दोनों ने ही चीन को रणनीतिक दृष्टि से रोकने के लिए ताइवान को अपना जरिया बनाया है। वहीं दोनों ने ही आर्थिकतौर पर उसको कमजोर करने के लिए कई अन्‍य फैसले भी लिए हैं।