लाहौर हाईकोर्ट में भारतीय अदालत का जिक्र क्यों? इमरान का नामांकन रद्द करने के खिलाफ हो रही थी सुनवाई

पाकिस्तान के लाहौर हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने मंगलवार को इमरान खान के नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के संबंध में दो याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान, खान के वकील उजैर भंडारी ने अदालत में दलीलें पेश की। सुनवाई के दौरान उन्होंने तुलना करते हुए बताया कि पूर्व प्रधान मंत्री के नामांकन पत्रों की अस्वीकृति के खिलाफ लड़ाई में वित्तीय भ्रष्टाचार की तुलना में अनैतिकता के अपराध को किस तरह से सूचीबद्ध किया गया है। अपनी दलीलों में भंडारी ने एक भारतीय अदालत का भी जिक्र किया। गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री को बड़ा झटका देते हुए पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने उनका आम चुनाव के लिए नामांकन खारिज कर दिया था। जिसके बाद उन्होंने इसे कोर्ट में चुनौती दी थी।

भारतीय अदालत का किया जिक्र
सुनवाई के दौरान भंडारी ने तर्क दिया कि नैतिक अंधेपन के आरोप में दोषसिद्धि अयोग्यता की परिभाषा के अंतर्गत नहीं आती है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता की सजा को भ्रष्टाचार या अवैध संपत्ति जमा करने के लिए दी जाने वाली सजा के बराबर नहीं किया जा सकता है। अपनी दलीलों के क्रम में भंडारी ने भारतीय अदालत का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय अदालत ने वित्तीय भ्रष्टाचार से जुड़े अपराध की तुलना में नैतिक अधमता के अपराध को निचले स्तर पर रखा है। भंडारी ने तर्क दिया कि रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) के पास अनैतिकता की सजा के आधार पर विवादित आदेश पारित करने का कोई अधिकार नहीं था। उन्होंने कहा कि इस्लामाबाद उच्च न्यायालय पहले ही याचिकाकर्ता की सजा निलंबित कर चुका है। हालांकि पीठ ने कहा कि पाकिस्तान में नैतिकता के मानक अन्य देशों से अलग हैं। बताया गया है कि हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

इसलिए खारिज किया गया था इमरान का नामांकन
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री को बड़ा झटका देते हुए पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने 30 दिसंबर को पंजाब प्रांत के लाहौर (एनए-122) और मियांवाली (एनए-89) निर्वाचन क्षेत्रों से खान के नामांकन पत्रों को खारिज कर दिया था। बाद में, अब इमरान खान का नामांकन खारिज करने वाले रिटर्निंग अधिकारी ने बताया है कि नैतिकता के आधार पर इमरान खान का नामांकन खारिज किया गया। रिटर्निंग अधिकारी ने कहा कि इमरान खान भ्रष्टाचार समेत कई मामलों में दोषी हैं। ऐसे में नैतिक अधमता के चलते उनका नामांकन खारिज किया गया है। आठ पेज के विस्तृत फैसले में लाहौर की नेशनल असेंबली सीट 122 के रिटर्निंग अफसर ने बताया था कि इस्लामाबाद के एडिश्नल सेशन जज ने भी इमरान खान को नैतिक अधमता का दोषी माना था। इमरान खान तोशाखाना मामले में दोषी हैं और इस मामले में इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने इमरान खान को पांच साल के लिए अयोग्य घोषित किया था। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 62 और 63 के तहत इमरान खान का नामांकन खारिज हुआ है।

इमरान ने की थी आलोचना
वहीं इमरान खान और पार्टी के कई अन्य वरिष्ठ नेताओं के नामांकन खारिज होने की पीटीआई ने निंदा की है। पीटीआई ने नामांकन खारिज करने की वजह को फर्जी करार दिया। बाद में, उन्होंने लाहौर उच्च न्यायालय (एलएचसी) का दरवाजा खटखटाया और दो सीटों पर चुनाव लड़ने की इजाजत मांगी थी। उन्होंने लाहौर हाईकोर्ट में 71 वर्षीय खान ने एलएचसी में दो अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं। इसमें पंजाब प्रांत के एनए-122, लाहौर और एनए-89, मियांवाली, शहरों से उनके नामांकन पत्रों को खारिज करने के रिटर्निंग अधिकारियों (आरओ) और अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसलों को चुनौती दी गई।