नेपाल को लेकर भारत ने उठाया ये बड़ा कदम, जानकर काँप उठा चीन

जनरल नरवणे के दौरे को लेकर केपी शर्मा ओली को कैबिनेट के भीतर ही विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय का प्रभार लेकर उन्हें शांत कर दिया।

जनरल नरवणे का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि उत्तराखंड में एक सड़क निर्माण के विरोध को लेकर उन्होंने नेपाल पर टिप्पणी की थी। मई में उन्होंने कहा था कि नेपाल ने किसी और के कहने पर यह मुद्दा उठाया है।

माना गया कि उनका इशारा चीन की ओर था। ओली और नरवणे के बीच मुलाकात और चर्चा से वाकिफ लोगों के मुताबिक, केपी शर्मा ओली ने नेपाल के राजनीतिक नक्शे से उपजे विवाद का जिक्र भी किया और उन्होंने इसे गलतफ़हमी का मामला बताया।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है। माना जा रहा है कि ओली ने इसके जरिए नए राजनीतिक नक्शे पर अपना पक्ष रखने की कोशिश की है।

कई महीनों तक तनाव और विवाद के बाद आखिकरकार भारत-नेपाल के बीच रिश्ते पटरी पर लौटते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच आधिकारिक बातचीत के लिए भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला 26 नवंबर को काठमांडू जाएंगे।

इसे संकेत माना जा रहा है कि नई दिल्ली द्वीपक्षीय रिश्तों में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार है। विदेश सचिव को नेपाल भेजने का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को नेपाली सेना के जनरल की मानद उपाधि दी गई है।

जनरल नरवणे ने पीएम केपी शर्मा ओली से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम ने कहा था कि दोनों देश बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझा सकते हैं। दोनों का रिश्ता सदियों पुराना और खास है।