चीन को झटका देने की तैयारी में भारत, करने जा रहा ये काम

इसके लिए लिस्ट तैयार कर ली गई है। इससे यह पता लगाने में आसानी रहेगी कि किस-किस आइटम का भारत में तत्काल रूप से और आसानी से उत्पादन कर सकते हैं.

 

ताकि बैन लगाने पर भारतीय मैन्यूफैक्चरर्स का कोई नुकसान न हो। इसके साथ ही यह भी विकल्प रखा जा सकता है कि चीन के अलावा कहीं और से जरूरी सामान और कच्चा माल मंगाया जा सकता है।

हालांकि इस बीच चीन से आने वाले माल की फिजिकल चेकिंग होने के कारण उन्हें पोर्ट से निकलने में देरी हो रही है जिससे घरेलू मैन्यूफैक्चरर्स की सप्लाई चेन काफी प्रभावित हो रही है।

वहीं, सरकार भी यह जानती है कि दवा, ऑटो पा‌र्ट्स, मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स जैसे कई क्षेत्र हैं जहां चीन से भेजे जाने वाले कच्चे माल के बिना माल तैयार नहीं हो सकेगा।

इसमें सबसे ज्यादा मेडिसिन सेक्टर प्रभावित होगा क्योंकि दवा निर्माण के कच्चे माल के लिए भारत 90% तक चीन पर निर्भर है। इसके बाद मोबाइल सेक्टर में 70% भारत चीन पर आश्रित है।

वहीँ, भारत में तैयार होने वाली गाड़ियों में लगने वाले ऑटो पा‌र्ट्स के लिए चीन की भारत को जरूरत है। इसके अलावा कॉस्मेटिक के कई ऐसे प्रोडक्ट हैं जो चीन से आने वाले कच्चे माल पर निर्भर है।

भारत ने चीन को आर्थिक रूप से कमजोर करने का बड़ा फैसला लिया है इसके तहत भारत अब चीनी सामान के इम्पोर्ट पर रोक लगाएगा। इससे पहले सरकार ने औद्योगिक संगठनों एवं अन्य मैन्यूफैक्चरिंग एसोसिएशन व निर्यातकों की राय मांगी थी।

दरअसल, राय पूछने का मुख्य कारण था कि भारत सरकार यह जानना चाहती हैं कि हमारे पास चीन के सामानों के कितने विकल्प हैं और आगे क्या संभावना है। जाहिर हैं चीन के 59 एप्स पर बैन लगाने के बाद अब चीन से इम्पोर्ट को कम कर दूसरा आर्थिक झटका देने की तैयारी में भारत लगा हुआ है।