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इस वर्ष क्यों पड़ रही है इतनी जबरदस्त सर्दी
आमतौर पर हर वर्ष दिसंबर के आखिरी व जनवरी के पहले सप्ताह में ज्यादा ठंड पड़ती है। इस दौरान कई इलाकों के तापमान 4 से 2 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाते हैं। दिसंबर में 16 से 18 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान नहीं पहुंचता। उत्तर व उत्तरपूर्व हिंदुस्तान के लोगों के लिए ये कोई नयी बात नहीं है। लेकिन इस वर्ष कुछ ज्यादा ही सर्दी पड़ रही है।
इस बार की सर्दी में कई इलाकों का अधिकतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा है। दिल्ली में 27 दिसंबर तक औसत अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस से नीचे रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक ऐसा पिछले 118 वर्ष में चार बार ही हुआ है। मौसम विभाग बता रहा है कि 1901 के बाद ये सबसे सर्द दिसंबर है। 1901 में दिल्ली का अधिकतम तापमान औसत तौर पर 17.3 डिग्री सेल्सियस रहा था।
दिल्ली में लगातार 14 दिनों से जबरदस्त ठंड पड़ रही है। ये 1997 के बाद पहली बार हो रहा है। 1997 में 13 दिनों तक लगातार कड़ाके की ठंड पड़ी थी। अभी जिस तरह के सर्दी दिल्ली में पड़ रही है, ऐसा लग रहा है कि मौसम कुछ व रिकॉर्ड तोड़ने वाला है।
कैसे तय होती है सर्दी की त्रीवता ठंड, बहुत अधिक ठंड व कड़ाके की ठंड तय करने के लिए मौसम विभाग ने कुछ पैमाने तय कर रखे हैं। अगर दिन में अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहता है, तो ऐसे दिन को सर्द दिन कहते हैं। उसी तरह से अगर दिन का अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे तक रहता है तो इसे बहुत अधिक सर्दी पड़ना कहते हैं। वहीं अगर अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 7 से 12 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है तो इसे कड़ाके की ठंड पड़ना कहते हैं।
क्या कड़ाके की ठंड असामान्य है
मौसम वैज्ञानिकों का बोलना है कि जिस तरह की सर्दी पड़ रही है, उसे असामान्य नहीं बोला जा सकता है। आमतौर पर उत्तर व उत्तरपूर्व हिंदुस्तान में पश्चिमी हिस्से व वेस्टर्न डिस्टरबेंस की वजह से सर्द हवा आती है। इन इलाकों में सर्दी इस बात पर भी निर्भर करती है कि जम्मू कश्मीर, लद्धाख व हिमाचल प्रदेश जैसे सटते इलाकों में कितनी बर्फबारी हुई है। ये सारी स्थितियां हर वर्ष बदलती रहती हैं, इसी के हिसाब से सर्दी कम या ज्यादा भी होती रहती है।
कड़ाके की ठंड की असल वजह क्या है
सर्दी ज्यादा पड़ने की असल वजह है क्लाईमेट चेंज। क्लाईमेट चेंज की वजह से दुनियाभर में ज्यादा सर्दी भी पड़ रही है व ज्यादा गर्मी भी। पिछले कुछ सालों में ये लगातार देखने में आ रहा है। ये आने वाले वक्त में व बढ़ेगा। इसी तरह से बाढ़ व सुखाड़ की स्थितियां भी बढ़ने वाली हैं। पूरी संसार में जलवायु बदलाव की वजह से बेकाबू परिस्थितियां बन रही हैं।