वहीं 120 देशों ने विश्व स्वास्थ्य महासभा की 18 मई को आयोजित वर्चुअल वार्षिक बैठक में स्वतंत्र जांच की मांग उठाई जिसमें भारत भी शामिल था। इससे पड़े दबाव के चलते विश्व स्वास्थ्य संगठन और चीन दोनों ने कोरोना वायरस के वैश्विक प्रसार के कारणों की स्वतंत्र जांच के लिए विवश होकर हामी भर दी है।
विश्व व्यवस्था, क्षेत्रीय संतुलन और दक्षिणपूर्वी एशियाई देशों, एशिया प्रशांत के देशों के सागरीय संप्रभुता से खिलवाड़ करने वाले चीन के व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए भारत द्वारा यथार्थवादी दृष्टिकोण अपनाया गया है। कोरोना महामारी के बीच पिछले माह ही भारत ने चीन और अन्य पड़ोसी देशों से सीधे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को लेकर अपना सुरक्षा चक्र मजबूत किया।
भारत के इस कदम ने चीन को काफी कुपित किया। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने इस संबंध में कहा था कि कुछ खास देशों से प्रत्यक्ष विदेश निवेश के लिए भारत के नए नियम डब्ल्यूटीओ के गैर-भेदभाव वाले सिद्धांत का उल्लंघन करते हैं और मुक्त व्यापार की सामान्य प्रवृत्ति के खिलाफ हैं। मजे की बात यह है कि यह उस चीन की अपेक्षा है जिसने दुनिया को कोरोना महामारी का दंश दिया।
जानकारी के मुताबिक, भारत ने आधिकारिक तौर पर 62 देशों के साथ यूरोपीय यूनियन व ऑस्ट्रेलिया की ओर से कोरोना वायरस फैलाने के जिम्मेदार कारणों की जांच की मांग करने वाले प्रारूप प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए उस पर हस्ताक्षर कर दिया है। यह जांच चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका को लेकर है।
पूरी दुनिया में कोरोना वायरस का कहर जारी है। वहीं भारत में भी कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पिछले 24 घंटों में कोरोना वायरस के सर्वाधिक 5611 नए मामले दर्ज किए गए हैं और 140 लोगों की मौत हुई है। इसी बीच एक बड़ी खबर सामने आ रही है।