भारत ने चीन को दिया अब तक का सबसे बड़ा झटका, दक्षिण सागर में तैनात किए…

पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद ‘तिबब्त पॉलिसी बॉडी’ की उच्च स्तरीय बैठक की गई। इसमें जिनपिंग ने भारत के साथ लगी सीमा पर सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया और कहा कि देश की सर्वोच्च प्राथमिकता सीमाओं की सुरक्षा होनी चाहिए।

 

इस कारण चीन को एक तरफ अलगाववाद की चिंता सता रही है तो दूसरी तरफ भारत के साथ लगती सीमा पर मुंह की खाने के बाद सुरक्षा को लेकर नींद भी उड़ी हुई है।

दरअसल, तिब्बत को लेकर पांच साल बाद एक बैठक का आयोजन किया गया था, लेकिन इसमें चीन के राष्ट्रपति का चेहरा और जबान दोनों ही उनकी चिंता को व्यक्त करने में जुटे थे।

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की हाल के दिनों में तिब्बत को लेकर चिताएं बढ़ गई है। दरअसल, उनकी सरकार की तरफ से लगातार तिब्बतियों को अपने पाले में करने की पुरजोर कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें उन्हें कामयाबी हासिल नहीं हुई है।

चीन की सरकार के लिए दक्षिण चीन सागर काफी महत्व रखता है. चीन किसी दूसरे देश की यहां मौजूदगी पसंद नहीं करता. चीन की नौसेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के विरोध के बावजूद भारत के जंगी पोत ने अपने अमेरिकी समकक्ष से लगातार संपर्क बनाया है.

अमेरिकी पोत भी इस क्षेत्र में पहले से मौजूद हैं. सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को देखते हुए दक्षिण चीन सागर में जंगी पोत तैनात करने का फैसला हुआ.

चीन की सरकार के लिए दक्षिण चीन सागर काफी महत्व रखता है. चीन किसी दूसरे देश की यहां मौजूदगी पसंद नहीं करता. चीन की नौसेना पीपल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के विरोध के बावजूद भारत के जंगी पोत ने अपने अमेरिकी समकक्ष से लगातार संपर्क बनाया है.

अमेरिकी पोत भी इस क्षेत्र में पहले से मौजूद हैं. सूत्रों ने बताया कि पूर्वी लद्दाख में जारी तनाव को देखते हुए दक्षिण चीन सागर में जंगी पोत तैनात करने का फैसला हुआ.