भारत ने चीन चीन को दिया ये बड़ा झटका, रातो – रात कर दिया…

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने न्यिमा तेनजिन के अंतिम संस्कार में केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी का प्रतिनिधित्व किया. इस पर सवाल उठे कि जिस तरह से भारत ने खुल कर इस तिब्बती जांबाज शहीद को सलामी दी, उस के मायने क्या हैं?

क्या यह चीन को एक संदेश है? तिब्बती शरणार्थियों द्वारा भारतीय सीमा बलों की एक इकाई के रूप में कार्यरत होने की बात भारत द्वारा खुल कर करना इस बात का संकेत है कि भारत अब आखिरकार चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच अपनी तिब्बत नीति पर पुनर्विचार कर रहा है ताकि चीन समझ ले कि तिब्बत के प्रति हमारी दिलचस्पी बरकरार है और तिब्बतियों के प्रति हमारी संवेदनशीलता बनी हुई है.

हाल ही में भारत ने मौजूदा संघर्ष क्षेत्न पूर्वी लद्दाख में सीक्रेट अर्धसैनिक बल स्पेशल फ्रंटियर फोर्स एसएफएफ के जवानों के त्याग और उनके बलिदान की पहली बार खुल कर चर्चा की या यूं कहें कि सार्वजनिक तौर पर स्वीकार्यता दी.

इस हादसे में फोर्स के तिब्बती कमांडो न्यिमा तेनजिन ने 29-30 अगस्त की रात्रि पैंगोंग झील के दक्षिणी तट से लगे इलाके में चीनी सेना के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान हुए माइन ब्लास्ट में देश के लिए अपना बलिदान दिया था.

ऐसे में जब कि लद्दाख में भारत और चीन की फौजों के बीच लगातार गहराते तनाव और चुशुल सेक्टर में भारतीय फौज के चीनी सेना को खदेड़ कर ऊंचाई वाले क्षेत्न में अपनी पैठ मजबूत कर उन पर हावी होने की खबरें हैं, इन सब के बीच एक बड़ा घटनाक्रम हुआ है.

वास्तविक नियंत्नण रेखा पर चीन की बढ़ती आक्रामकता में पिछले दिनों घटे एक अहम घटनाक्र म से लगता है कि सरकार चीन के साथ गतिरोध और तनाव कम करने के लिए बातचीत के रास्ते के साथ-साथ अंतत: अब चीन से जस के साथ तस का रास्ता अख्तियार कर नई तिब्बत नीति पर विचार कर रही है.