भारत ने चीन को दिया ये बड़ा झटका, 35 किलोमीटर दूर बनाया…, पूरा करने में लगे…

सीमा पर चीन से तनातनी के बीच भारत सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हिमाचल प्रदेश के दारचा से लद्दाख तक जाने वाली 290 किमी लंबी सड़क तेजी से बना रहा है।

यह सड़क पहाड़ों में ऊंचाई वाले बर्फीले इलाकों से होकर कई दर्रों से भी गुजरेगी। सूत्रों के मुताबिक, इस सड़क के बनने से लद्दाख में अग्रिम मोर्चे तक भारी साजोसामान और सैनिकों को ले जाने में आसानी होगी।

अधिकारी कहते हैं कि तीसरे रूट के लिए रारचा-पदुम-निमू ट्रैकिंग रोड को मैटल्ड रोड में बदलने और 4.5 किलोमीटर की टनल शिंगो ला के नीचे दारचा-पदम रूट पर बनाए जाने की ज़रूरत है. ये प्रोजेक्ट एक दशक से पाइपलाइन में हैं, इसे रक्षा मंत्रालय ने दो साल में पूरा करने के लिए डैडलाइन दी है.

डिफेंस मिनिस्ट्री के रोड प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए रोड और हाईवे मिनिस्ट नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) और उनके सहयोगी जनरल वीके सिंह कड़ी मेहनत कर रहे हैं, क्योंकि चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC के साथ गतिरोध को उकसाया है.

वो निचले इलाकों में सैनिकों को जुटा रहा है. भारत के बार-बार यथास्थिति की बात को याद दिलाने के बावजूद चीन सैनिकों की पीछे हटाने के लिए अनिच्छुक ही दिखाई दिया है.

यह लद्दाख का ऑल-वेदर रूट होगा जो पहले से ही दो और रास्तों से जुड़ा हुआ है. पहला जम्मू कश्मीर में जोज़िला के ज़रिए और दूसरा हिमाचल के मनाली-लेह के ज़रिए. रोहतांग ला में 9.02 किलोमीटर की अटल टनल मनाली और लेह के बीच की दूरी को 46 किलोमीटर तक कम कर देगी. ये अगले महीने चालू हो जाएगी.

भारत की सुरक्षा की प्लानिंग करने वाले एक ऐसे स्ट्रेटजिक रूट को पूरा करने में लगे हैं जो लद्दाख (Ladakh) तक भारत की रणनीतिक पहुंच बनाएगा ही साथ ही हिमाचल प्रदेश के दारचा से कारगिल की ज़ांस्कर वैली के पदम होते हुए निमू को जोड़ेगा.

हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक सीनियर मिलिट्री कमांडर्स ने कहा है कि लद्दाख को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए तीसरा रास्ता सियाचिन ग्लेशियर औ दौलत बेग ओल्डी में चीन के इंट्रेस्ट को देखते हुए ज़रूरी है. निमू लेह से 35 किलोमीटर दूर है और पूर्वी लद्दाख और सियाचिन ग्लेशियर की सिक्योरिटी करने वाले XIV कोर का मुख्यालय यहां है.