भारत, चीन के बीच बिगड़े हालात, लद्दाख के बीचो – बीच हुआ ये , तैयारी कर रही सेना…

पिछली बैठक के बाद दोनों देशों ने अपने रुख को और कड़ा कर लिया है। चीन ने कहा है कि वो नए बने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को नहीं मानता। भारत वहां पर सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचे तैयार कर रहा है।

नवंबर 7, 1959 को चीन एलएसी मानता है। भारत ने जवाब दिया कि वो 1959 के लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को नहीं मानता। पांच राउंड के डब्ल्यूएमसीसी वार्ता और छह राउंड की कोर कमांडरों की बैठक के बाद भी दोनों देश समझौते से काफी दूर हैं।

भारत की तरफ से सोलहवीं कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह के लिए ये बातचीत का आखिरी मौका होगा। 14 अक्टूबर को उनका एक साल का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके बाद वो इंडियन मिलिट्री अकादमी का कार्यभार संभालेंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल पी जी के मेनन उनसे चार्ज लेंगे। वो सितंबर 21 से भारत-चीन वार्ता में शामिल रहे हैं। उस बैठक में भारतीय विदेश मंत्रालय के ईस्ट एशिया के ज्वाइंट सेक्रेट्री नवीन श्रीवास्तव भी शामिल हुए थे।

बैठक में दूसरी बैठक जल्द करने पर सहमति बनी थी ताकि जल्द से जल्द दोनो देश एलएसी से पीछे हटा सकें। पिछली बैठक में दोनों देश ने संयुक्त बयान जारी किया था जिसमें स्थिति को और गंभीर नहीं बनाने पर सहमति बनी थी। सहमति वाले मुद्दों पर भी तुरंत कार्रवाई की बात हुई थी।

भारत और चीन के बीच आज सातवें दौर की बातचीत हो रही है। इससे पहले दोनों देशों के कोर कमांडरों की छह बातचीत विफल हो चुकी है। कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है।

दोनों ही देश सर्दियों में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर डटे रहने की तैयारी कर चुके है। दोनों देशों के बीच लद्दाख में पांच महीने से झड़प चल रही है। चीन के बाद भारत ने भी ऊंचाई वाले कई हिस्सों पर कब्जा कर लिया है।