रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील को लेकर भारत पर अमेरिका लगा सकता है ये, जानिए सबसे पहले

भारत ने जब से रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम डील की है, उसके बाद से लगातार ऐसी रिपोर्ट्स आईं हैं कि अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है। अब जब रूस ने भारत को S-400 की डिलीवरी शुरू की है तो एक बार फिर से प्रतिबंधों को लेकर बात की जा रही है।

अब अमेरिका ने मामले को लेकर अपनी बात रखी है। मीडिया से बात करते हुए अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने मामले को लेकर कहा है कि हमने रूस के साथ भारत के हथियारों के लेन-देन के संबंध में संभावित छूट पर कोई फैसला नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि काटसा का किसी खास देश को लेकर कोई छूट का प्रावधान नहीं है।

रूस से S-400 खरीद को लेकर अमेरिका खफा है। इसके कई कारण है। अमेरिका सालों से चाहता है कि भारत रूसी रक्षा प्रणालियों पर अपनी निर्भरता खत्म कर दे। पिछले कुछ सालों में भारत ने अमेरिका से रक्षा आयात बढ़ाया है। हालांकि इस सबके बावजूद रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार सप्लाइर बना हुआ है।

लेकिन चिंता की बड़ी वजह अमेरिका द्वारा पारित 2017 के कानून काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) से है। इस कानून का मकसद ईरान, रूस और उत्तर कोरिया को सबक सिखाने से है। इसी कानून में रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ लेनदेन को लेकर लिस्टेड 12 प्रतिबंधों में से कम से कम 5 प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। अमेरिका ने लंबे समय से नाटो के सहयोगी रहे तुर्की पर दिसंबर 2020 में S-400 की खरीद को लेकर प्रतिबंध लगाए थे।

अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय कह चुका है कि भारत और अमेरिका के बीच एक ग्लोबल स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप है। भारत का रूस के साथ भी एक ख़ास स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप है। भारत ने हमेशा से एक स्वतंत्र विदेश नीति अपनाई है और यह हमारे डिफेंस सेक्टर से जुड़े मसलों में भी लागू होता है।

S-400 दुनिया के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम में से माना जाता है। यह एक लंबी दूरी की सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है। S-400 में ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट और यहां तक ​​कि लड़ाकू जेट सहित लगभग सभी तरह के हवाई हमलों से बचाने की क्षमता है। रिपोर्ट बताती है कि यह एक साथ 400 किलोमीटर दूरी तक 72 टारगेट को एक साथ तबाह कर सकती है।